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लोकसभा चुनाव उत्तर पूर्व मुम्बई:- नामंकन मे दिखाया दम खम

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मुम्बई:- बच्चों के लिए मेला तो वहीं बड़ो के लिए चुनाव कहे जाने वाला पंचवर्षीय महापर्व का आगाज होते ही लोगों मे एक उत्साह भर जाता है, लोगों मे चुनावी रंग धिरे-धिरे अपने सुरुर पर चढ़ चला है वही इस लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गया है। नामंकन से ही अपना दम खम दिखाने मे प्रत्याशी कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते। बस कुछ ऐसा ही नजारा मंगलवार को उत्तर पूर्व मुम्बई लोकसभा क्षेत्र के राष्ट्रवादी काग्रेंस पार्टी, कांंग्रेस और अघाड़ी युति प्रत्याशी संजय दीना पाटील ने अपना नामंकन किया। जिसमे हजारों पुरुष कार्यकर्ता के साथ भारी संख्या मे महिलाएं भी मैजुद रही। पाटील ने अपने नामंकन पत्र दाखिला मे मुलुण्ड के संभाजी पार्क से निवणुक अधिकारी आफिस मुलुण्ड पूर्व तक अपना रोड शो  किया जिसमे बहुत सारे बाईकर्स के काफिले के साथ कारवां  निकला।

संजय दीना पाटील परिचय,समाजिक गतविधिया, कार्यकाल, रूचियां

उत्तर भारतीयों मे लोकप्रिय रहे भूमिपुत्र स्व. दीना बामा पाटील के पुत्र है। इनका जन्म 16 जनवरी 1969 मे हुआ था। मुम्बई युनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र से अपना स्नातक किया है। 10 नवम्बर 1995 मे 26 वर्ष की वायु मे पल्लवी पाटील के साथ विवाह हुआ। संजय पाटील को दो सुपुत्री है। पहली बार चुनाव मे कदम रखकर 2004-2009 सदस्य, महाराष्ट्र विधानसभा रहे।

2009 15वीं लोकसभा के लिए चुनाव लड़े और जीत हासिल किया। 31अगस्त 2009 वाणिज्य समिति सदस्य चुने गये। साथ ही साथ परामर्शदात्री समिति, शहरी विकास
सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद
सदस्य, युवा पर संसदीय मंच
सदस्य, श्रम समिति सदस्य भी रहे है। संजय पाटील का समाजिक गतविधिया अच्छी रही हैं उन्होंने एड्स और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लिए जागरूकता, विभिन्न खेलों, क्रिकेट, कबड्डी, आदि के लिए राज्य स्तरीय टूर्नामेंट आयोजित करना, नृत्य नाटक, गायन, आदि के लिए आयोजित जिला स्तरीय प्रतियोगिताएं,माई ट्रस्ट के माध्यम से सांस्कृतिक हित को बढ़ावा देने के लिए, नि: शुल्क चिकित्सा शिविर, मोतियाबिंद के ऑपरेशन, चश्मे का नि: शुल्क वितरण, रक्तदान, पूर्ण स्वास्थ्य जांच; और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए मुफ्त नौकरी उन्मुख कंप्यूटर शिक्षा के प्रचार की लागत का सक्रिय रूप से काम करना जैसी गतविधिया किये जाना के लिए जाने जाते है। स्लम और कम विशेषाधिकार प्राप्त बच्चों के बीच उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा (100% साक्षरता) प्रदान करने के लिए; और कम-विशेषाधिकार प्राप्त बच्चों के बीच स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करना जैसी क्रियाओं रूचि रखते हैं।

लोकसभा क्षेत्रसीट मुकबला समिक्षा

2009 में इस सीट का मुकाबला देखने लायक था। एनसीपी के संजय पाटिल को 2,13,505 वोट, बीजेपी के किरीट सौमेया को 2,10,572 वोट तो मनसे के शिशिर शिंदे को 1,95,148 वोट मिले थे। जिसमे मात्र 2933 मतो से संजय पाटील विजेता बने थे। वही इसके बाद 2014 के चुनाव में बीजेपी के किरीट सौमेया ने 5,25,285 वोट पाकर यहां 3,17,122 के भारी मतो से जीत हासिल की राष्ट्रवादी कांंग्रेस पार्टी के संजय पाटिल को 2,08,163 वोट तो वहीं आप पार्टी से खड़ी हुईं समाजसेवी और नर्मदा बचाओे आंदोलन से जुड़ी मेधा पाटकर ने 76,451 वोट पाकर तीसरा स्थान पाया था। उस समय अन्ना हजारे के आंदोलन से निकले और दिल्ली में दुसरी बार सरकार बनाने वाली पार्टी का भी पुरे देश मे अच्छा माहौल था।

इस बार इस सीट पर मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी मनोज कोटक से है। मनोज कोटक, भारतीय जनता पार्टी के पार्षद और बीएमसी के नगर सेवक दल के सदस्य हैं। वो आर्थिक रूप से संपन्न हैं और मुलुंड इलाके में रहते हैं। माना जा रहा है कि मनोज कोटक का दांव इस क्षेत्र के गुजराती मतदाताओं के बीच बेहतर प्रभाव पैदा करेगा।मुंबई में गुजराती मतदाताओं की संख्या करीब 23 फीसद हैं। इनमें से 13 फीसद उत्तर-पूर्व मुंबई में ही हैं। मनोज कोटक लोहाना समुदाय के गुजराती हैं। इस समुदाय की संख्या भी क्षेत्र में अधिक है। 1996 के बाद से उत्तर-पूर्व मुंबई से कोई पार्टी या प्रत्याशी दो बार लगातार नहीं जीती है। प्रत्याशी का चेहरा बदलकर पार्टी क्षेत्र का यह रिकॉर्ड भी तोड़ना चाहती है। मनोज कोटक 10 वीं तक शिक्षा प्राप्त किये हैं, हाई स्कूल (महाराष्ट्र बोर्ड) वर्ष 1988 में इनका भी समाजिक छवि अच्छी है।

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