Home जौनपुर लोकसभा मछलीशहर: असल मुद्दा,औधेमुह गिर रहा सिधवन औद्योगिक क्षेत्र

लोकसभा मछलीशहर: असल मुद्दा,औधेमुह गिर रहा सिधवन औद्योगिक क्षेत्र

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हमार पूर्वांचल
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जौनपुर: जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर उत्तर प्रदेश राज्य मार्ग नम्बर 5 पर जिसे जौनपुर-भदोही मार्ग भी कहते है,उस पर बना यह औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण तो हो गया, होना भी चाहिए क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र किसी नगर, राज्य या अन्य प्रशासनिक भौगोलिक इकाई का वह भाग होता है जिसका प्रयोग अधिकांश रूप से उद्योग के लिए होता है। इसमें कारख़ाने और अन्य औद्योगिक भवन होते हैं और यानि यह क्षेत्र मे रह रहे लोगों के लिए रोजी-रोटी का जुगाड़ हो जाता है। परन्तु सिधवन औद्योगिक क्षेत्र का हाल उसके विपरीत परिस्थितियों को झेल रही हैं। दूसरे शब्दों में कहे तो औधेमुह गिर रही हैं।

सरकारी तंत्र और जनप्रतिनिधियों के लापरवाही से बंद हो रहे उघोग

सिधवन औद्योगिक क्षेत्र की दिन दर दिन स्थिति खराब होती जा रही है,अगस्त 2018 मे तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जिला उद्योग बंधु/सीडा उद्योग बंधु की बैठक लिया गया था। जिसमें विद्युत विभाग द्वारा स्वतंत्र फीडर की स्थापना,औद्योगिक क्षेत्र सिधवन के सड़क, नाली की मरम्मत कराए जाने के संबंध में,रोड की स्ट्रीट लाइटों एवं हाई मास्क लाइट नहीं जो नहीं जलती उसे ठीक करने को कहा गया था जो आजतक नहीं हुआ। स्थिति तो इतनी खराब है की आप मड़ियाहूं से बीस मिनट की दूरी पर बनी इस औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों का हाल बया करते भी नहीं बनता,सड़कों के गढ्ढों की बात करे तो वो पहाड़ी क्षेत्रों के पथरीली सडकों से भी ज्यादा बदतर है। भदोही जिले का बार्डर क्षेत्रों तक यह औद्योगिक क्षेत्र लगाता है, इस पुरे क्षेत्र को पार करने में आपको दो से ढाई घंटे तक लग जायेंगे। जो देखा जाए तो सरकारी तंत्र क्षेत्रीय विधायक सासंदों (जनप्रतिनिधियों) की नाकामी को बयां करती हैं।

ध्यान दिया जाय तो औधोगीकरण की गति को बढ़ाने में सिद्ध होता

कहा जाता हैं, कि औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना जिले,क्षेत्र, प्रदेश के औद्योगीकरण की गति को त्वरित करती है, क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में अधिकांशतः लघु उद्योगों की स्थापना की जाती है, इन क्षेत्रों में प्रारम्भ किये जाने वाले लघु उद्योग, वृहद उद्योगों के पूरक बन जाते हैं तथा दोनों प्रकार के उद्योग मिलकर जिले, क्षेत्र, प्रदेश में औद्योगीकरण की गति को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं। औद्योगिक क्षेत्रों के द्वारा उद्योगों के एक बड़े समुदाय को उचित स्थान की प्राप्ति होती है तथा बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण तथा भवन निर्माण के कारण इन क्षेत्रों में कारखाने की लागत तुलनात्मक रूप से कम आती है। साथ ही साथ स्थापित कारखानों को सस्ती दर पर जल, विद्युत, परिवहन, तकनीकी परामर्श बैंक इत्यादि सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं पर सिधवन औद्योगिक क्षेत्र मे इसके विपरीत परिस्थितियों का निर्माण हुआ है।

सुविधाओं के नाम पर बस लापरवाही बरतने का काम हुआ है। शासन-प्रशासन जिले के इस औद्योगिक क्षेत्र की तरफ से बेखबर बना रहता है। वैसे ही लोगों मे बेरोजगारी को लेकर परेशानियाँ बनी है,उसमे से सुविधाओं के अभाव में बंद हो रहे उधोगो से बेरोजगारी और बढ़ेगी।औद्योगिक इकाई के मालिको की माने तो शासन-प्रशासन और सरकारी तंत्रों के चक्कर काट उघमी थक हार फैक्टरी बंद करके घर बैठने को मजबूर हो जाते है।

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