मुम्बई : आज लोकसभा मुम्बई दक्षिण सीट की पूरी जानकारी देने जा रहे है। यहां के चुनाव क्षेत्र के सांसद, चुनावी समीकरणों, सामाजिक व्यवस्था और भी जानकारियां जो आपको वोट डालने से पहले जानना ज़रूरी है। तो आइये बात करते हैं महाराष्ट्र लोकसभा, मुंबई दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र की कहा जाता है, मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी समेत देश की वाणिज्यिक राजधानी भी है। इस क्षेत्र में गेटवे ऑफ इंडिया है। इस प्रवेशद्वार के पास ही पर्यटकों के समुद्र भ्रमण हेतु नौका-सेवा भी उपल्ब्ध है। इसके अलावा यहां प्रसिद्ध मुस्लिम धार्मिक स्थल हाजी अली दरगाह है, बगल मे महालक्ष्मी मंदिर होने के नाते यहा हिन्दू-मुस्लिम दोनों दर्शनाभिलाषी आते हैं। हाजी अली दरगाह सय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की स्मृति में सन् 1431 में बनाया गया था।
वही महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास भी रोचक है, कहा जाता है कि वर्ली और ब्रिच कैडी को जोड़ने वाले मार्ग की योजना असफल हो रही थी पर उसके ठेकेदार रामजी शिवाजी को स्वप्न मे आकर इस मंदिर को बनाने के लिए महालक्ष्मी जी ने कहा था जिसे 1831 मे बनाया गया। यह मुंबई का महत्वपूर्ण धार्मिक एवं पर्यटन स्थल भी है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का गढ़ भेद शिवसेना ने मुंबई दक्षिण सीट पर कब्जा किया था। वोटर लिस्ट के अनुसार,मुंबई की दक्षिण-मध्य लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र का सबसे छोटा निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां कुल 14 लाख 85 हजार 844 मतदाता हैं। यहां 8 लाख 28 हजार 962 पुरुष मतदाता और 6 लाख 56 हजार 867 महिला मतदाता हैं।
लोकसभा मुंबई दक्षिण सीट में विधान सभा पर एक नजर
इसमें 6 विधानसभा सीट आती हैं। इस लोक सभा सीट का मिजाज मिला-जुला नजर आता है। किसी भी पार्टी का यहां पूरा दबदबा नहीं है, हा कभी इस सीट से जॉर्ज फर्नांडिज चुनाव लड़ के सांसद बने थे, ये 9 बार के सांसद रहे थे। बाद में उन्होंने बिहार की मुजफ्फरपुर सीट को अपनी कर्मस्थली बनाया। कई सालों तक ये सीट कांग्रेस के मुरली देवडा और फिर उनके बेटे मिलिंद देवडा के पास रही जो पिछले लोकसभा चुनाव मे शिवसेना ने छीन ली। विधानसभा सीटो के अनुसार
वर्ली, शिवडी से शिवसेना, मालाबार हिल, कोलाबा से बीजेपी, मुंबादेवी से कांग्रेस तो भायखला से असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के विधायक हैं।
लोकसभा मुंबई दक्षिण सीट का इतिहास
1952 से यहां 1967 तक इस सीट पर कांग्रेस काबिज रही है। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बैनर पर लड़े जॉर्ज फर्नांडिज ने कांग्रेस के तिलिस्म को तोड़ा और 1967 के चुनावों में जीत हासिल की। इसके बाद 1971 में फिर से सीट कांग्रेस के पास चली गई, तो वही 1977 से 1984 तक ये सीट भारतीय लोक दल और जनता पार्टी के पास रही। उसके बाद फिर काया पल्टी और 1984 से 1996 तक यहां कांग्रेस के मुरली देवडा ने लगातार जीत दर्ज करके अपना एकछत्र बनाए रखा। फिर क्या था 1996 लोकसभा चुनाव में उनके तिलिस्म को बीजेपी की जयवंतीबेन मेहता ने तोड़ा दिया और इस सीट पर कब्जा कर लिया । लेकिन 1998 में फिर से मुरली देवड़ा को यहां से जीत हासिल हुई। 1999 में फिर जयवंतीबेन मेहता ने देवड़ा को पटकनी देते हुए विजय हासिल की इसके बाद 2004 में मुरली देवडा के बेटे मिलिंद देवडा ने कांग्रेस के टिकट पर लड़कर इस सीट को कांग्रेस के खेमे मे फिर से डाल दिया, जो 2014 में शिवसेना के अरविंद सावंत ने कांग्रेस के देवड़ा को हराकर अपने पक्ष मे कर लिया।
2014 में इस सीट से शिवसेना के अरविंद गनपत सावंत ने 3,74,609 वोट पाकर जीत हासिल की थी दूसरे स्थान पर कांग्रेस के मिलिंद मुरली देवडा रहे जिन्हें 2,46,045 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर मनसे के बाला नांदगांवकर रहे, इन्हें 84,773 वोट मिले थे। चौथे स्थान पर मशहूर बैंकर मीरा सान्याल रहीं ,जिन्होंने आप पार्टी से चुनाव लड़ा था और 40,298 वोट पाए थे। इस बार यहा की सीट फिर से रोचक है क्योंकि कांग्रेस से मिलिंद मुरली देवड़ा और अरविंद सावंत का फिर से मुकाबला है।