सीतामढ़ी। महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी में प्राचीन समय से लवकुश जन्मोत्सव के अवसर पर चले आ रहे नौ दिवसीय मेले का आगाज 14 जुलाई से हो चुका है। जिसका 21 जुलाई को ऐतिहासिक व भव्य मेले के साथ समापन हो जाएगा। भक्तिमय आयोजनों से समूचा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा है। मेला क्षेत्र के मौनी बाबा आश्रम व लवकुश इंटर कॉलेज में कथा सहित भक्तिमय कार्यक्रम चल रहे हैं।
कथा में दूर-दराज से आए मानस मनीषी अमृतमयी उद्गार दे रहे हैं। जिसे सुन श्रोता अपने जीवन को धन्य कर रहे हैं। बुधवार को मेला क्षेत्र आये में भक्तों को डॉ साधना त्रिपाठी ने संगीतमयी रामकथा का रसपान कराते हुए राम सीता के प्रेम प्रसंग को विस्तार से वर्णित किया। कहा कि जनकपुरी दर्शन की लीला के बाद फुलवारी का प्रसंग आता है। सुबह मुर्गे की आवाज सुनकर पहले लक्ष्मण और राम उठते हैं। तैयार होने के बाद दोनों भाइयों ने गुरु को प्रणाम कर उनकी आज्ञा ली और फिर फूल लेने के लिए बगीचे में पहुंचे।
उसी समय सखियां सहित गिरिजा पूजा के लिए जानकारी भी बगीचे में पहुंचीं। सखियां गीत गाती हुई जानकी को चारों ओर घेरे हुए चलती हैं। वहां से आगे बढ़ने के बाद संकुचाई जानकी राम की सांवली सूरत एक बार फिर देखने की इच्छा व्यक्त करती हैं। सीता गिरजा पूजने मंदिर जाती हैं। वह राम जैसा वर मांगती हैं। सीता की वाणी सुनकर मां गिरिजा प्रसन्न हो जाती हैं। इसके बाद आकाशवाणी होती है कि- हे जानकी तुम्हारे मन का कामना पूरी होगी। जिसे तुम चाहती हो , वही वर तुमको मिलेगा। गौरी का आशीर्वाद पाकर सीता राजमहल में चली गईं।
बीच-बीच में सीता राम के जयकारे से रोम रोम भगवतभक्ति में तल्लीन दिखा। इस मौके पर रामप्यारे शुक्ल रामहिन्छ शुक्ल मुन्ना पांडेय मनोज शास्त्री राजेश पांडेय राज कुमार शुक्ल प्रदीप श्यामजी सेठ सहित बड़ी सख्या में श्रद्वालु उपस्थित थे।