प्रयाग नगरी में हर वर्ष आयोजित होने वाला माघ मेला एक महत्वपूर्ण मेला हैं।इस मेले से लोगों की आस्था गहराई से जुड़ी होती हैं।
प्रयाग में माघ महीने की महिमा का वर्णन गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस में किया है।
माघ मकर गति रवि जब होई।
तीरथ पतिहिं आउ सब कोई।।
देव दनुज किन्नर नर श्रेणी।
सादर मज्जहि सकल त्रिवेणी।।
माघ महीने में प्रयाग में देव,दनुज,किन्नर,अमीर,धनी,निर्धन सभी आते है।यहां गंगा-यमुना के पवित्र संगम पर आकर दर्शन कर मुक्ति प्राप्त करने की कामना करते है और इसलिए कहा भी गया हैं। गंगे तव दर्शानात् मुक्ति:
पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण मेला
पुलिस के लिए आयोजित माघ मेला सुरक्षित और सकुशल संपन्न कराना बेहद संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण होता है। माघ मेले को पूरा कराने के लिए पुलिस अपने कार्य,विचार और आचरण के साथ तत्पर रहती है,और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ड्यूटी सेवा और भावना के साथ करती हैं।मेले में आने वाले तीर्थ यात्रियों से विनम्रता व आत्मीयतापूर्ण सहयोगात्मक व्यवहार भी करती है।
माघ मेले में आने वाले तीर्थ यात्रियों को सुगमता पूर्वक स्नान कराना और सुरक्षित उनके गन्तव्य तक पहुंचाकर पुलिस अपनी ड्यूटी निभाती है।
पुलिस मेले में आने वाले तीर्थयात्रियों से उनकी आस्था हमारा ध्येय के सिद्धांतो पर कार्य करती है और पुलिस की गरिमामयी एक अच्छी छवि को नई ऊंचाइयों पर ले जाती है।
लेखक – धनंजय सिंह