मुबई से बृजेश दुबे की रिपोर्ट
नशा शब्द किसी भी अच्छे खासे परिवार को बिखेरने और खुशहाल दाम्पत्य मे गम मातम और आंसू फैलाने मे सक्षम है। प्रतिबंधित नशीले पदार्थ नशा माफियाओं की सक्रियता और प्रशासनिक निष्क्रियता की वजह से युवा वर्ग को खोखला करते हुए दिन दूनी रात चौगुनी गति से फल फूल रहा है। कई तरह के प्राणघातक और प्रतिबंधित नशीले पदार्थ अति सहजता से समाज मे समाज के लोगो द्वारा ही फैलाए जा रहें है जिसकी वजह से आज की युवा पीढ़ी इन मादक पदार्थो की गिरफ्त मे आती जा रही है।
इन नशीले पदार्थो की वजह से ही समाज मे कई तरह के अपराध अपने चरम पर है और जब देश के प्रमुख महानगरो मे शुमार और हिन्दुस्थान की वित्तीय राजधानी मुम्बई मे इस तरह से प्रतिबंधित नशीले पदार्थ सहजता से उपलब्ध है तो अपराध मुक्त वातवरण की कल्पना भी बेमानी साबित होती है।
छत्रपति शिवाजी महराज टर्मिनल , बांद्रा , कुर्ला और कल्याण जंक्शन जैसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर चरसियो और गर्दूल्लो को आसानी से नशे मे य़ा नशे क़ा सेवन करते हुए देखा जा सकता है।
इसके साथ ही रे रोड मस्जिद शिवडी जैसे हार्बर रेलवे स्टेशन परिसर मे और आस पास चरस और गांजा जैसे प्रतिबंधित मादक पदार्थो क़ा सेवन करते हुए चरसीयो को देखा जा सकता है जिनकी उम्र महज पंद्रह से पच्चीस के बीच मे होती है।
चिंतनीय विषय बस यही है इस तरह के पदार्थ सेवन के लिए इनको मिलते कहा से है।
कई बार कार्यवाई के नाम पर प्रशासन द्वारा छोटी मछलियों को गिरफ्त मे लिया जाता है मगरमच्छों पर प्रशासन मेहरबान हो जाता है । गिरफ्त से बाहर कार्यवाई से बचे हुए ये नशा माफिया फिर से चंद घंटो मे अपना नेटवर्क शुरू कर देते है ।
इसके साथ ही चरस अफीम और गांजे की श्रेणी मे आने वाला मादक पदार्थ अलग अलग तरह के पाउचो मे अत्यंत घातक नशीला पावडर भांग के नाम पर धड़ल्ले से बेचा और खरीदा जाता है। जब की महाराष्ट्र सरकार की तरफ से प्रतिबंधित है।
तो फिर ये कहा से मैनुफैक्चरिंग होकर मुम्बई मे डिस्ट्रीब्यूट होता है ये तो कोई नशे क़ा सौदागर ही बता सकता है य़ा फिर प्रशासन लेकिन जब तक इस तरह के नशीले पदार्थो की बिक्री और आवक पर पूर्ण और सख्त प्रतिबंध नही लग जाता तब तक अपराध और भय मुक्त समाज की परिकल्पना दिवा स्वप्न की भांति है ।
युवा पीढ़ी जिस तेजी के साथ नशे क़ा शिकार हो रही है वह अत्यंत चिंतनीय राष्ट्रीय विषय है जिस पर तत्परता से सख्त कार्यवाई की आवश्यकता है । अगर समय रहते समाज मे इस तरह से प्रतिबंधित नशे की आवक और बिक्री पर लगाम नही लगी तो आने वाले समय मे इसके भयंकर दुष्परिणाम भी देश को झेलना पड़ेगा।