Home खास खबर राजनीतिक वर्चस्व की जंग का खामियाजा भुगत रही महर्षि वाल्मिकी की तपोभूमि

राजनीतिक वर्चस्व की जंग का खामियाजा भुगत रही महर्षि वाल्मिकी की तपोभूमि

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पिछले एक दशक से शह—मात के खेल में उलझे हैं भदोही के जनप्रतिनिधि

जिला सृजन के 26 वर्ष बाद भी मूलभूत समस्याओं के निदान हेतु तरस रही कालीन नगरी
हरीश सिंह
भदोही। कालीन नगरी के नाम पर विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ने वाली महर्षि वाल्मिकी की तपोभूमि भदोही यहां के नेताओं के बीच चल रही वर्चस्व की जंग का खामियाजा भुगत रही है। पिछले एक दशक से जिले के राजनेता अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने के लिये एक दूसरे के साथ शह—मात का खेल खेल रहे हैं। परिणामस्वरूप जिला सृजन के 26 वर्ष बाद भी कालीन नगरी अपनी मूलभूत समस्याओं से निजात पाने के लिये तरस रही है, लेकिन आपसी जंग में उलझे राजनेता अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

पूर्वांचल में बाबा विश्वनाथ के धाम काशी, महर्षि जमदग्नि के नगर जौनपुर, तीर्थराज प्रयागज और मां विन्ध्यवासिनी के धाम मीरजापुर के मध्य बसी महर्षि वाल्मिकी की तपोभूमि भदोही का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। इसी तपोभूमि ने मां सीता को शरण दी थी और मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के दोनों पुत्र लव—कुश का पालन पोषण किया था। लेकिन जिस पावन धरा को श्रीराम जैसे मर्यादा का पालन करने वाले राजा ने सुरक्षित मानकर मां सीता का आश्रयस्थल बनाया। उसी भूमि पर पैदा हुये राजनेता सारी मर्यादाओं को भूलकर आपसी जंग में उलझे हुये हैं। जिसके परिणामस्वरूप विकास कार्य बाधित पड़े हैं। वैसे राजनीतिक जंग की शुरूआत तो तभी हो गयी थी जब चुनाव के दौरान पूर्व सांसद गोरखनाथ पाण्डेय के भाई रामेश्वरनाथ पाण्डेय की हत्या 2002 में हुई थी। जिसमें ज्ञानपुर के वर्तमान विधायक विजय मिश्रा आरोपी बनाये गये थे।
कभी देश की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले स्व. पं. श्यामधर मिश्रा, स्व. यूसूफ बेग जैसे नेताओं की कर्मभूमि बदनामी के रास्ते पर तब चल पड़ी जब भदोही की राजनीति में बाहुबली विधायक विजय मिश्रा ने कदम रखा।

विजय मिश्रा पर आरोप लगता रहा है कि अपने विरोधियों को रास्ते से हटाने के लिये वे हर गुनाह किये जो उन्हें पसंद आया। परिणाम यह रहा कि पिछले दो दशक से ज्ञानपुर विधानसभा में किसी की राजनीति उभर नहीं पायी। कहा जाता है कि जिसका भी राजनीतिक कद विजय ने बढ़ता देखा उसे नुकसान पहुंचाने के लिये हरसंभव प्रयास किये। भले ही उसे अपने रास्ते से हटाने के लिये जान लेनी पड़ी हो या फिर फर्जी मुकदमों में जेल भेजना पड़ा हो। अपने बाहुबल की धमक और धनबल की ताकत को विजय मिश्रा ने भरपूर उपयोग किया। विजय मिश्रा का नाम पूर्वांचल के बड़े माफियाओं में शुमार किया जाने लगा। उनके उपर पांच दर्जन से अधिक मुकदमें भी लद गये। फिलहाल परिवारिक जमीन हड़पने और एक गायिका से रेप करने के आरोप में जेल में हैं।
30 जून 1994 में जब भदोही को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने जिला घोषित किया तब जिले में तेजी से विकास कार्य भी शुरू हुये, लेकिन पिछले एक दशक से सरकार द्वारा शुरू किये गये सारे विकास कार्य अवरूद्ध हो गये।
जिला मुख्यालय सहित जिला अस्पताल और अपने कार्यकाल में विकास के कई प्रोजेक्ट की नींव रखने वाले औराई से चार बार विधायक और भाजपा सहित बसपा सरकार में गृह राज्य मंत्री सहित कई मंत्रालयों में मंत्रीपद पर रहे रंगनाथ मिश्रा को वर्ष 2012 आय से अधिक संम्पत्ति के मामले में मुकदमा हुआ। उनके प्रतिष्ठानों पर आयकर के छापे भी पड़े और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। बुधवार को श्री मिश्रा को इस मामले से बरी कर दिया। उन्होंने साफ आरोप लगाया कि  माफिया, पुलिस और नेताओं के गठजोड़ के कारण उन्हें प्रताड़ित होना पड़ा। उनका सिर्फ एक ही मकसद था जिले का विकास, लेकिन माफियाओं को यह रास नहीं आया। श्री मिश्रा का कहना है कि वे भदोही को माफिया मुक्त करके विकास के रास्ते पर लाना चाहते थे लेकिन उन्हें फंसा दिया गया। उन्होंने साफतौर पर ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा का नाम लिया। बताना लाजिमी होगा कि किसी समय रंगनाथ मिश्रा और विजय मिश्रा की आपस में खूब बनती थी।
राजनीतिक शह मात का खेल यहीं नहीं रूका बल्कि कभी माफियाओं के खिलाफ बुलंद स्वर में आवाज उठाने वाले सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त का भी विजय मिश्रा करीबी बन गये। कहा जाता है कि जिस विजय पर कभी विरेन्द्र विश्वास करते थे। उसी विजय मिश्रा ने 2019 का लोकसभा चुनाव आते ही ब्राह्मण ठाकुर का खेल खेलकर टिकट कटवा दिया। लिहाजा विरेन्द्र सिंह मस्त को बलिया जाकर चुनाव लड़ना पड़ा।
सियासत के शह मात के खेल में 2017 विधानसभा चुनाव के बाद खिलाड़ी बने बाहुबली विजय मिश्रा और भदोही विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी। बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव में दोनों विधायकों में खूब जमती थी, लेकिन समय चक्र का पहिया घूमा और वर्ष 2020 की शुरूआत में भदोही विधायक और उनके भतीजों पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया। मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन जांच में विधायक के भतीजे संदीप त्रिपाठी के अलावा सभी दोषमुक्त साबित हुये।
इस घटना के कुछ दिनों बाद ही बाहुबली विजय मिश्रा के दुर्दिन शुरू हो गये। उनके उपर उन्हीं के रिश्तेदारों ने जमीन कब्जे का आरोप लगाया। फिर एक गायिका ने विधायक और उनके बेटे पर गैंगरेप का आरोप लगाया। सबूत में कुछ तस्वीरें भी वायरल हुई जिससे विजय मिश्रा के करीबियों ने भी मुंह चुराना शुरू कर दिया। अब विजय मिश्रा जेल में हैं।
पिछले दो दशक से जिला पंचायत पर कब्जा जमाये रखने वाले विजय मिश्रा जेल गये और जिले की राजनीति पर त्रिपाठी परिवार का कब्जा हो गया।
बाहुबली विजय मिश्रा भले ही जेल में हों किन्तु महर्षि वाल्मिकी की तपोभूमि आज भी विकास के लिये कसमसा रही है। यहां के गरीब कालीन मजदूर अपने खून पसीने की कमाई को मंहगे इलाज में खर्च कर रहे हैं। अधिकारी और नेता विकास के धन को बंदरबांट करने के लिये लड़ रहे हैं। दम तोड़ते कालीन उद्योग, ध्वस्त हुई शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था आदि समस्यायें मुंह बाये खड़ी हैं किन्तु सियासत में उलझे जनप्रतिनिधियों को कुछ भी सोचने की फुरसत नहीं है।

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