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यूपी विधानसभा उपचुनाव – मंझवा विधानसभा : सपा ने रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति को मैदान में उतारा

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समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में होने वाले 10 विधानसभा उपचुनावों के लिए अपनी पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें मीरजापुर जिले की मंझवा विधानसभा सीट भी शामिल है। इस सीट पर सपा ने भदोही से भाजपा के पूर्व सांसद और 2024 में मीरजापुर से सपा के लोकसभा प्रत्याशी रहे रमेश बिंद की बेटी, डॉ. ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है।

मंझवा विधानसभा सीट भदोही की राजनीति में भी अहम मानी जाती है। इस उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर होगी, जबकि भदोही के वर्तमान सांसद डॉ. विनोद बिंद और पूर्व सांसद रमेश बिंद की सियासी परीक्षा भी होगी।

ज्ञात हो कि 2024 के लोकसभा चुनावों में रमेश बिंद का टिकट काटकर भाजपा ने डॉ. विनोद बिंद को भदोही से टिकट दिया था। इसके बाद रमेश बिंद ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और मीरजापुर से अनुप्रिया पटेल के खिलाफ ताल ठोंक दी। सपा को उम्मीद थी कि भदोही के बिंद मतदाताओं पर रमेश बिंद का प्रभाव पड़ेगा, लेकिन भदोही में अधिकतर बिंद मतदाता डॉ. विनोद बिंद के पक्ष में चले गए थे। मीरजापुर में हालांकि, रमेश बिंद ने अनुप्रिया पटेल को कड़ी टक्कर दी थी।

मंझवा में पूर्व विधायक डॉ. विनोद बिंद अब भदोही से सांसद हैं, इस वजह से वहां उपचुनाव हो रहे हैं। सपा ने इस उपचुनाव के लिए रमेश बिंद की बेटी, डॉ. ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है। रमेश बिंद की मंझवा में मजबूत पकड़ मानी जाती है, क्योंकि वे 2002 से 2017 तक लगातार बसपा के टिकट पर विधायक रहे थे। 15 वर्षों तक विधायक रहे रमेश बिंद को 2017 में भाजपा की सुचिस्मिता मौर्य ने हराया था। 2019 में रमेश बिंद ने भाजपा से भदोही लोकसभा सीट जीत ली थी।

वहीं, मंझवा से भदोही के वर्तमान सांसद डॉ. विनोद बिंद ने 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। यह उपचुनाव पूर्व और वर्तमान सांसदों के लिए एक कड़ी परीक्षा होगी।

अब बात करें सपा की प्रत्याशी डॉ. ज्योति बिंद की, तो 25 वर्षीय डॉ. ज्योति पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। उनकी राजनीतिक जड़ें मजबूत हैं, उनके पिता रमेश बिंद तीन बार विधायक और एक बार सांसद रहे हैं, जबकि उनकी मां समुद्रा बिंद ने 2014 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। डॉ. ज्योति एक उच्च शिक्षित और युवा महिला उम्मीदवार हैं, जिनकी शिक्षा लखनऊ के सीएमएस गोमती नगर और महाराष्ट्र के डीवाई पाटिल यूनिवर्सिटी से हुई है। सपा को उम्मीद है कि वे युवाओं और महिलाओं के बीच अच्छा प्रभाव डालेंगी।

मंझवा विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण भी महत्वपूर्ण हैं। यहां ब्राह्मण, दलित, और बिंद बिरादरी का खासा प्रभाव है। दलित मतदाताओं की संख्या करीब 60,000 है, जबकि यादव 40,000, ब्राह्मण 30,000, और अन्य पिछड़ी जातियों की संख्या लगभग 50,000 है। मुस्लिम, ठाकुर और वैश्य समुदाय के भी महत्वपूर्ण संख्या में मतदाता हैं, जिससे यह सीट सभी दलों के लिए अहम बन जाती है।

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