संजू ने ये रिकॉर्ड तोड़ा, संजू ने वो रिकॉर्ड तोडा. संजू ने सारे रिकॉर्ड तोड़े. ऐसी कुछ हैडिंग आप इधर लगातार पढ़ और सुन रहे होंगे. ये उसी मीडिया की कारस्तानी है जिसकी हमारे संजू बाबा ने घपाघप (फिल्म का डायलॉग) ली है. वो भी सरिया के. बायोपिक के नाम संजय दत्त उर्फ़ संजू बाबा के जीवन पर लगे कालिख को राजकुमार हिरानी ने बड़ी तबियत से मांजने की कोशिश की है, और वे उसमें कामयाब भी होते हैं. लेकिन फिल्म को बायोपिक कहना बेईमानी होगी.
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संजय दत्त एक बहुत नेकदिल इंसान हैं. उन्होंने अपनी आत्मरक्षा के लिए कट्टा या रिवॉल्वर नहीं लिया, सीधे एके-56 लिया. नेकदिल थे, इसीलिए 3 की बजाय एक ही पास रखा. भारतीय न्याय व्यवस्था मूर्ख है. ऐसे नेकदिल इंसान को बेवजह की सजा हुई. मीडिया ने संजू बाबा को विलेन बनाया, वरना संजू बाबा तो कीर्तन-भजन में व्यस्त थे. संजू बाबा ने महज 300 लड़कियों के साथ घपाघप किया (वेश्यायों को छोड़कर), सुनकर बाबा की पत्नी मुस्कुराती है, भगवान ऐसी पत्नियां कहां पाई जाती हैं ?
और आश्चर्य देखिये, जिस मीडिया की संजू बाबा ने 5-6 मिनट लगातार गाने के माध्यम से घपाघप ली, वही मीडिया फ़िल्म की तारीफ करते नहीं थक रहा. हिरानी साहब ने निराश किया है इस बार. बड़ी बारीकी से उन्होंने एक अपराधी को कॉमेडी और इमोशनल की चासनी में डुबोकर मीठा और सरस बना दिया. और दोषी मीडिया को ठहरा दिया. संजू एक ऐड फ़िल्म है, जिसमें डायरेक्टर ने वही दिखाया है जो उसे बताया गया है. एक मंझे हुए डायरेक्टर से हम ईमानदारी की उम्मीद कर सकते हैं ? और करते भी आए हैं.
फ़िल्म के आखिरी में एक 5 से 6 मिनट का गाना है जिसमें मीडिया को गाने के माध्यम से तबियत गरियाया गया है. फिल्म में ये भी ये बताया गया है कि सच तो मीडिया के पिछवाड़े से निकलता है. फिल्म में आपको कई बार ऐसा लगेगा कि ये फिल्म सुनील दत्त की बायोपिक होनी चाहिए थी. जो आदमी नशे में डूबा रहता हो, जो सैकड़ों लड़कियों के साथ सो चुका हो, जो अपने पास गैरक़ानूनी हथियार रखता है, वो हीरो कैसे बन सकता है?
‘संजू’ का गाना ‘बाबा बोलता है बस हो गया…’ में रणबीर कपूर और संजय दत्त की जुगलबंदी नजर आ रही है और दोनों ही मीडिया पर गुस्सा निकाल रहे हैं. रियल लाइफ संजय दत्त और रील लाइफ संजय दत्त दोनों का इस गाने में यह मानना है कि मीडिया कुछ भी छाप देता है, और उसे सूत्रों के हवाले से बता देता है. ‘संजू’ फिल्म का ये गाना फिल्म खत्म होने पर आता है. यानी संजय दत्त की जिंदगी का सबसे बड़ा विलेन मीडिया हुआ.
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और हम अगर ऐसे व्यक्ति ओ अपना हीरो मानते हैं तो हमें सख्त इलाज की जरूरत है. आज संजू आई है, कल सल्लू भी आ सकती है. उसमें भी यही दिखाया जाएगा कि हिरण सलमान खान को मारना चाहता था, इसलिए अपने भाई जान ने अपनी सुरक्षा के लिए हिरण की जान ले ली. उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत है. फ़िल्में अगर समाज का आईना होती हैं तो ऐसे आईने पर कालिख पोत दीजिए ?
अर्ज है : आईना कभी क़ाबिल-ए-दीदार न होवे
गर ख़ाक के साथ उस को सरोकार न होवे
(इश्क़ औरंगाबादी)
डिस्क्लेमर- आर्टिकल समीक्षा और विचारों के समावेश के रूप में पढ़ा जाए. ये लेखक के निजी विचार हैं. आप बिल्कुल असहमत हो सकते हैं.
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