Home मुंबई महिलाओं को मानसिक प्रताड़ना देती है महाराष्ट्र पुलिस

महिलाओं को मानसिक प्रताड़ना देती है महाराष्ट्र पुलिस

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भाजपा सरकार में महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान देने की बात बड़ें जोरों-शोरों से प्रचारित की जाती है किन्तु वास्तविक स्थिति यह है कि पुलिस पीड़ित महिलाओं को मानसिक प्रताड़ना का शिकार बनाती है। बात चंद दिनों पूर्व विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन की है,जब अपनी फरियाद को लेकर न्याय पाने की आस में एक महिला पुलिस स्टेशन पहुंचती है, लेकिन उसे पुलिस सहयोग न करके परेशान करती है। कई दिन दौड़ाने के बाद किसी तरह मुकदमा लिख लिया जाता है किन्तु पुलिस की शर्तो पर। अफसोस तो यह है कि सरकार को बदनाम कर रहे ऐसे पुलिस अधिकारियों के उपर शासन स्तर पर कार्रवाई भी नहीं की जाती है।

हुआ यूं कि चंद दिन पूर्व ललिता मनोज सोनवने अपने ससुराल वालों से पीड़ित होकर विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन जाती है। उसे ससुराल में एक तरफ सास-ननद और पति द्वारा परेशान किया जाता रहा है तो दूसरी तरफ उसके देवर की निगाह उसके प्रति बुरी थी। विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन के जिम्मेदार लोग उसकी हंसी उड़ाते हैं और उसे बार-बार दौड़ाया जाता है। जब कुछ महिलायें उसके सहयोग में थाने जाती हैं तो उन्हें भी बुरा भला कहा जाता है। चार दिल लगातार दौड़ाने के बाद किसी तरह पुलिस मुकदमा दर्ज तो कर लेती है किन्तु अपनी शर्तो पर मनमानी करते है।

सोचने वाली बात है कि भाजपा सरकार महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें न्याय दिलाने के लिये प्रतिबद्धता को बार-बार दोहराती है किन्तु वास्तविक धरातल पर सच्चाई कुछ और ही होती है। कोई ऐसी घरेलू महिला नहीं होगी जो शौक से पुलिस थाने के चक्कर लगाये। उसकी मजबूरियां उसकी बेबसी ही उसे थाने में जाने को विवश करती हैं। वह यह सोचकर जाती है कि उसे न्याय मिलेगा। लेकिन प्रताड़ित होकर दहलीज से बाहर कदम रखने वाली महिलाओं को कितना मानसिक तनाव झेलना पड़ता है उसके बारे में कोई सोचता नहीं है।

जरूरत इस बात है कि सिर्फ कानून बना देने से महिलाओं को न्याय नहीं मिल सकता है बल्कि कानून का पालन करने वालों पर भी नकेल कसनी होगी। ताकि पीड़िता को न्याय मिलने के साथ मनमानी पूर्ण रवैया अपनाने वाले पुलिस अधिकारियों को भी सुधारा जा सके। अफसोस यह है कि देश और प्रदेश में भाजपा का शासन होने के बावजूद पुलिस अपनी मनमानी पर कायम है।

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