Home मन की बात मन की बात : डॉ. धीरज सिंह

मन की बात : डॉ. धीरज सिंह

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भरे बाजार एक महिला के साथ गलत हरकत किया जा रहा है,वह महिला आपके लिए माँ समान है,आप उस महिला की बहुत इज्जत करते हैं।ऐसे मे आप क्या करेंगे?..पुलिस के आने का इंतजार या खुद आगे बढ कर उस गलत का विरोध करेंगे?
भारत मे बलात्कार एक जुर्म है,संवैधानिक रूप से इसमे सजा का प्रावधान है।आप के जान पहचान की किसी लडकी के साथ आपकी नजरों के सामने बलात्कार किया जा रहा है,ऐसे मे आप पुलिस को फोन करेंगे और उसके आने तक हाथ पर हाथ धरे तो बैठे नही रहेंगे ना ? अपनी ओर से कुछ ना कुछ तो जरूर करेंगे ही ! अब ऐसे मे आपके साथ या बलात्कारियों के साथ कोई दुर्घटना घट सकती है,उनकी मार पिटाई हो सकती है लेकिन आप बहादुर कहलाएगें,समाज मे आपकी इज्जत बढ जाएगी।
आप के पड़ोस के खाली घर मे चोर घुस आए हैं,आप को पता चल गया है ऐसे मे जाहिर है आप अपना पड़ोसी धर्म जरूर निभाएंगे ? चाहे उस पडोसी से आपकी जमती न हो लेकिन कुछ ना कुछ तो जरूर करेंगे ताकि घर चोरी की दुर्घटना से बच जाए ।
दुबई और कुछ खाड़ी के देशो मे सोने की स्मगलिंग करना जुर्म नही है,लेकिन भारत मे यह जुर्म है।स्त्री की खरीद फरोख्त पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर सामाजिक रूप से मान्य है लेकिन भारत मे सामाजिक और संवैधानिक रूप से गलत है।अफीम और गांजे की खेती गैर क़ानूनी है लेकिन राजस्थान में कुछ जातियों मे सामाजिक रूप से मान्य है।
वैश्यावृत्ति भी संवैधानिक मान्यता प्राप्त नही है लेकिन दुनिया को छोडिये भारत की कुछ आदिवासी जनजातियों मे इसे सामाजिक मान्यता प्राप्त है। सामाजिक रूप से देखा जाए तो दहेज़ भी मान्यता प्राप्त है लेकिन संवैधानिक रूप से यह गैर कानूनी है …समझदार वयक्ति सामाजिक नही संवैधानिक मान्यता को महत्व देता है ऐसे मे ऐसी हर गलत कार गुजारियों का वो विरोध करेगा!
गुजरात और बिहार मे शराब पीना-पिलाना और बेचना जुर्म है,शराब की चोरी छुपे बिक्री से कई लोगो का घर-परिवार चलता है लेकिन इस राज्यो मे कुछ लोग ऐसे है तो शराबी है,चोरी छुपे पीते-पिलाते और बेचते है।ऐसे मे ये कभी पकडे जाते है तो क्या उनको सजा नही मिलनी चाहिए?
गुजरात और महाराष्ट्र मे तो महिलाओं ने आगे बढ कर शराब माफिया का विरोध किया है।…ऐसे मे कई बार जान माल का नुकसान भी हुआ है,शराब माफिया के कुछ लोग मारे भी गये है और पकडे भी गये है।….ऐसे मे इंसानियत और लोकतंत्र की दुहाई देकर हम शराब माफिया के पक्ष मे लाम बंध तो नही हो सकते ? उनकी रोज़ी रोटी और परिवार के पालन पोषण के लिए आदोलन तो नही चला सकते है ना ?
किसी वयक्ति के माता-पिता दिवंगत हो गये हैं,उनकी तस्वीर पर कोई थूक दे या पैर रख दे तो क्या उस वयक्ति को बुरा नहीं लगेगा ? ध्यान रहे उसके माता-पिता की वो सिर्फ तस्वीर है,शरीर उसके माता-पिता नही।…उस वयक्ति को बुरा लगेगा क्यो कि उस तस्वीर के साथ उसकी भावनाएं जुडी हुई है।
कागज के चंद समूहों को मिला कर किताब बनती है,कुछ किताबे धार्मिक भावनाओं के वजह से पवित्र मानी जाती है,कुरान, बाइबिल, गीता,गुरूग्रंथ …लेकिन दुनिया ने कई बार अनुभव किया है कि इन कागज के टुकड़ों के कारण दुनिया मे दंगे-फसाद और खुन तक हुए है।क्यो कि इन किताबों के साथ लोगो की धार्मिक भावनाए जुडी है,ऐसे मे थोडा भी ऊंच नीच हो जाने पर वे आहत हो जाती है।…दुनिया ने तो एक पब्लिकेशन द्वारा कार्टून बनाए जाने पर आतंकवादी हमलों को अनुभव किया है,बाॅम्ब विस्फोटों को झेला है।
धार्मिक,सामाजिक,सास्कृतिक मान्यताओ और भावनाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है…इंसानी जान !! ….. किसी जानवर,कुछ कागज़ के तरतीब टूकडो और सामाजिक और धार्मिक मान्यताओ के लिए भी अगर आप किसी इंसान की जान लेने के पक्ष मे है तो क्षमा किजिये ऐसे मे मै आपके साथ नही हूँ।

फिर भी ग़ौर तलब है कि…. भारत मे 1979 से गौ-वध पर बैन है।गाय कि हत्या जुर्म है और अब तो गौ वंश की बली और हत्या पर भी ज्यादातर राज्यो मे भी बैन है।दुनिया में हिंदु भावनात्मक रूप से गाय से जुडा हुआ है। गाय को माता मानता है,गाय के शरीर मे देवताओं का वास है। …..इस सब की जानकारी होते हुए भी कुछ लोग मांस और चमडे के लिए गाय की तस्करी करते है।………. ऐसे मे …. ??

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