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भदोही में फिर लव जेहाद का शिकार हुई नाबालिग लड़की, पुलिस पर उठे सवालिया निशान

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भदोही। पुलिस यदि अपना काम जिम्मेदारी से करती तो एक नाबालिग लड़की को लव जेहाद का शिकार होने से बचाया जा सकता था, किन्तु भदोही पुलिस और चिकित्सक की मिलीभगत से एक मासूम नाबालिग लड़की दोबारा लव जेहाद का शिकार बन गयी। मामला गोपीगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का है। 10 दिन बीतने के बाद भी पुलिस आरोपी और लड़की का पता नहीं लगा पायी है।

मामला गोपीगंज कोतवाली क्षेत्र का है जब एक मुस्लिम लड़का हिन्दू परिवार की एक लड़की को दोबारा भगा ले गया। परिजन परेशान हैं किन्तु पुलिस हाथ पर धरे बैठी है। इस मामले में परिजनों ने पुलिस और सोनभद्र में नाबालिग के हुये मेडिकल पर गम्भीर आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि चिकित्सक और पुलिस की मिलीभगत से उसकी बेटी को बालिग करार किया गया है जबकि आधार कार्ड और विद्यालय के रिकार्ड में उसकी बेटी नाबालिक है।

विगत 14 मार्च को गोपीगंज थाना क्षेत्र के जोगिनका गांव की एक 15 साल की बालिका शौच के लिए खेत में गई थी । उसी दौरान गोपीगंज का ही शाहिद उर्फ गुड्डू उसका अपहरण कर लिया । घटना की सूचना उसी दिन गोपीगंज कोतवाली में दी गई। मुकदमा दर्ज करने के बाद भी पुलिस आनाकानी करती रही। फिर 24 मार्च 2020 को कोराना के कारण लॉकडाउन हुआ तो पुलिस को नया बहाना मिल गया।

तीन महीने के बाद पुलिस ने दोनों को बरामद किया लेकिन आरोपी शाहिद उर्फ गुड्डू पर पास्को एक्ट नहीं लगाया। जबकि लड़की नाबालिग थी। आरोपी जमानत पर बाहर आया तो नाबालिग किशोरी को लेकर भाग गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 363/३६६/7-8 का मुकदमा दर्ज किया किन्तु 10 दिन बीतने के बाद भी दोनों का पता नहीं लगा सका है। नाबालिग के पिता का कहना है कि थाना व पुलिस चौकी का चक्कर लगा रहा है। जहां चौकी इंचार्ज के छुट्टी पर जाने और वापस लौटने के बाद कार्यवाही का आश्वाशन दे रहे हैं।

ऐसे में साफ है कि संवेदनशील मामले में भी इस तरह की लापरवाही आखिर क्यों कि जाती है क्या पुलिस किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है। क्या पुलिस चाहती है कि लव जेहाद के मामले को लेकर किसी को भदोही का माहौल खराब करने का मौका मिले। सवाल उठता है कि जब आधार कार्ड और स्कूल के प्रमाण पत्र से लड़की की उम्र 15 साल है तो पुलिस ने परिजनों की बात क्यों नहीं मानी। आखिर किस आधार पर चिकित्सक ने उसकी उम्र 18 से 22 साल बता दिया। पीड़ित पिता लड़की का जन्म समय दिसंबर 2005 बता रहा किन्तु पुलिस क्यों मानने को तैयार नहीं है। आखिर किस दबाव में फर्जी रिपोर्ट तैयार करके पास्को एक्ट नहीं लगाया गया और आरोपी जेल से बाहर आकर फिर घटना को अंजाम दे दिया। पीडित्रत पिता ने जनपद के आलाअधिकारियों से उक्त संवेदनशील मामले में शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही के साथ चिकित्सक के फर्जी रिपोर्ट और संलिप्त पुलिसकर्मी के जाच की मांग की है।

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