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बाहुबली के खिलाफ जारी संघर्ष को धार देने मैदान में उतरा विधायक परिवार

भदोही। पंचायत चुनाव ने एक बार फिर भदोही विधायक रविंद्रनाथ तिवारी परिवार के बढ़े जज्बे को साबित कर दिया है। सवाल यह कि पार्टी से टिकट न मिल पाने पर भी श्री त्रिपाठी परिवार के सामने क्या यह मजबूरी थी कि चुनाव न लड़ने पर जिले में बाहुबली के खिलाफ जारी उनकी लड़ाई कमजोर होती। इसका गलत संकेत जाता। बताते हैं कि विधायक श्री त्रिपाठी द्वारा मना किये जाने के बावजूद उनके अनुज और दो भतीजे चुनाव मैदान में कूद पड़े।

सूत्रों की मानें तो इसके पीछे भाजपा संगठन के टिकट न देने का निर्णय नहीं बल्कि टिकट कट जाने के पीछे बाहुबली विधायक विजय मिश्र के कथित षड्यंत्र करने की आशंका वाले आरोप हैं। श्री त्रिपाठी समर्थकों का मानना है कि विधायक परिवार के तीनों दावेदारों को जिस तरह टिकट से वंचित कर दिया गया उसके पीछे विजय मिश्र का ही अपरोक्ष षड्यंत्र है। प्रमाण में यह तर्क दिया जा रहा है कि यह किसी से छुपा नहीं है कि बाहुबली विजय मिश्र की हर राजनीतिक दल और पूर्वांचल के हर असामाजिक दलदल में परोक्ष अपरोक्ष पहुंच है। उस संबंधों का उपयोग श्री मिश्र अपने हित साधने एवं विरोधियों को सबक सिखाने में करते रहे हैं।

पिछले साल से ही जिस तरह श्री मिश्र की विधायक रविंद्र त्रिपाठी एवं उनके परिवार से ठनी है वह किसी से छुपा नहीं है। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ कोई मौका चूक नहीं रहे हैं। ऐसे में पंचायत चुनाव का आ जाना और श्री त्रिपाठी परिवार के तीन तीन लोगों का चुनाव मैदान में उतर जाना विजय मिश्र को फूटी आंख भी सुहा नहीं सकता। श्री मिश्र यह कभी नहीं चाहेंगे कि जिस जिला पंचायत पर करीब दो दशक से उनका परोक्ष अपरोक्ष कब्जा रहा उस पर श्री त्रिपाठी परिवार काबिज हो।

श्री त्रिपाठी समर्थकों की मानें तो श्री मिश्र यह जानते हैं कि विधायक रविंद्र त्रिपाठी के अनुज एवं सुरियावा के निवर्तमान ब्लाक प्रमुख अनिरुद्ध त्रिपाठी चुनाव जीते तो वह सीधे जिला पंचायत अध्यक्ष पद का दावेदार बनेगे। श्री मिश्र यह भी जानते हैं कि ठीक उन्हीं की राजनैतिक रणनीति अपनाने वाले रविंद्र त्रिपाठी अपने भाई को जिला पंचायत अध्यक्ष बना भी सकते हैं । उक्त तर्क वाले दावे में दावे में कहा जा रहा है कि श्री त्रिपाठी परिवार भाजपा से टिकट न मिल पाने पर उतना हताश नहीं था। जितना आक्रोशित इस आशंका पर हो गया कि टिकट कटने के पीछे विजय मिश्र का कथित षड्यंत्र ही बड़ा कारण है। बताया गया कि बताया गया कि यही कारण रहा कि जब टिकट न मिल पाने पर विधायक रविंद्र त्रिपाठी अपने भाई और भतीजे को चुनाव न लड़ने का सुझाव दिया तो विधायक परिवार विरोध पर उतर आया। वार्ड 9 से उनके भाई अनिरूद्ध त्रिपाठी, वार्ड 8 से भतीजे चंद्रभूषण पप्पू तिवारी और वार्ड 7 से पप्पू के भाई सचिन त्रिपाठी नामांकन दाखिल कर चुनाव प्रचार में लग गए हैं। इधर विधायक श्री त्रिपाठी यह सफाई देते सुने जा रहे हैं कि उनका समर्थन भाजपा से अधिकृत प्रत्याशियों को ही मिलेगा। जो भी हो किंतु जिले में यह संदेश जन चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है कि चुनाव के बहाने विधायक रविंद्र त्रिपाठी के छोटे भाई और भतीजों का अपरोक्ष पंगा बाहुबली विजय मिश्र से ही है।

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