Home साहित्य विधा – कजरी

विधा – कजरी

751
0

दानी सबसे बड़ा हे भइया,
माई-बाबू हऊवैं ना ।। -2

बाहर बाबू करैं मजूरी,
माई घर में करैं हजूरी-2
पूरी इच्छा करैं जू ललना,
जग बलिहारी हऊवैं ना ।। (1)

तिल-तिल,पाई-पाई जोड़ैं,
भूलल-भटकल लाल के मोड़ैं -2
भूत-भविष्य सवारैं ललना,
प्रथम गुरु गृह हऊवैं ना ।। (2)

बेटा-बेटी भेद न जानैं,
दुनहुं के इक सम ऊ मानैं -2
ठानैं दुनहुं बनउबै साहेब,
दीप सहैया हऊवैं ना ।। (3)

दानी सबसे बड़ा हे भइया,
माई-बाबू हऊवैं ना ।।

विनय शर्मा “दीप”

Leave a Reply