एक बड़ी पुरानी कहावत है कि जब खतरे ने सिर उठाया तो होश में बागी आया। ओैर यदि खतरा ऐसा हो जो बागी के वजूद के लिये ही संकट पैदा कर दे। तो बागी का पेैर खींच लेना चालाकी है। कुछ ऐसी ही स्थिति कालीन निर्यात संवर्धन परिषद यानि सीइपीसी की हुई है। जो खुद सरकारी सहयोग से संस लेती है, जीती है, जागती है और आगे बढ़ती है, लेकिन गूरूर इतना कि देश के पीएम ओर यूपी के सीएम को नजरअंदाज कर दिया। मामला जब आगे बढ़ा तो सरकार के कैबिनेट मंत्री ओैर सत्ताधारी दल के नेताओं ने भी संज्ञान में ले लिया। हालांकि सीइपीसी को अपनी मनमानी अथवा भूल का अहसास हुआ। अहसास होते ही सीइपीसी ने तत्काल उस भूल को सुधारने में देर नहीं किया जो उससे हो गई थी। हालांकि इससे उसकी कितनी किरकिरी और सरकार के प्रति अपनाये गये रवैये से उसकी कितनी हानि हुई अथवा होगी। यह तो अलग बात है किन्तु कलतक जो सीइपीसी अपनी नीति और सफलता पर इतरा रही थी। आज वह मुंह छुपाती देखी गईं। सवाल यह भी है कि क्या देश के प्रधानमंत्री ओैर मुख्यमंत्री की अनदेखी इसलिये की गई। क्योंकि वे भाजपा के हैं। इस बाबत की चर्चा भाजपाईयों में देखी जा रही है। इस मामले में सफाई देते हुये सीइपीसी के चैयरमैन ने क्या कहा। उसका वीडियों भी हम आपको दिखायेंगे। लेकिन
पूरा मामला जानने के लिये यह समझ लें कि सीइपीसी कालीन उद्योग के विकास विस्तार और देश विदेश में प्रचार हेतु सरकार द्वारा वित्तपोषित एक संस्था है। जिसका एक प्रमुख कार्य देश में कालीनों के प्रदर्शन हेतु मेला आयोजित करना भी है। ऐसे कालीन मेले केन्द्र और राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से होते हैं। पहले ऐसे मेले वर्ष में दो बार दिल्ली और वाराणसी में होते थे। किन्तु बीते वर्षों में उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा भदोही के कारपेट सिटी में अंतर्राष्ट्रीय मानक के कार्पेट एक्स्पो मार्ट के भवन का निर्माण कराया गया। जिससे वर्ष का दूसरा मेला वाराणसी की जगह भदोही में लगने लगा। मेले में दर्जनों देशों के चार से पांच सौ के आसपास विदेशी कालीन आयातक आते हैं। जिनके आने जाने और ठहरने की सारी व्यवस्था सीइपीसी ही करती है। मेले के उद्घाटन के लिये अक्सर केन्द्र सरकार के केन्द्रीय कपड़ा मंत्री ही करते हैं। जिसमें प्रदेश के वस्त्र मंत्रालय के मंत्री के अलावा संबंधित विभाग के सचिव एवं अन्य अधिकारी व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी शामिल रहते हैं।
इस बार 15 से 18 अक्टूबर तक चार दिवसीय कालीन मेला भदोही कारपेट एक्स्पो मार्ट में आयोजित हो हुआ है। इसका उद्घाटन करने केन्द्र कपड़ा मंत्री गिरीराज सिंह स्वयं भदोही आये। उनके साथ केन्द्रीय कपड़ा मंत्री पवित्रा जी और यूपी के वस्त्र मंत्री राकेश सचान भी थे। सबकुछ पूर्व निर्धारित था। लेकिन एक बात ऐसी थी जो अन्य वर्षो से अलग थी। वह यह कि मेले के आयोजन से संबंधित जो भी बैनर पोस्टर लगे थे। उनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो गायब थी। फोटो वाले स्थान पर सिर्फ केन्द्रीय वस्त्र मंत्री गिरीराज सिंह, केन्द्रीय राज्य मंत्री ओैर प्रदेश के वस्त्र मंत्री राकेश सचान और सीइपीसी के चेयरमैन कुलदीप राज बाटल की ही फोटो थी। इन पोस्टरों पर सीइपीसी पदाधिकारियों के अलावा अन्य पदाधिकारियों निर्यातकों अथवा अन्य लोगों की नजर भी पड़ी होगी। किन्तु किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। जब यह मामला ह्यूमन टुडे ने खुद केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह के सामने उठा दिया तो एक बारगी वे भी भौचक रह गये ओैर उन्हें कोई जवाब नहीं सूझा। उनके चेहरे की रौनक गायब हो गई। हमेशा हर मुद्दे पर मुखर रहने वाले गिरीराज सिंह झेंपते हुये दिखायी दिये। खुलकर कुछ कह नहीं पायें किन्तु दबी जुबान से अपनी असंतुष्टि अवश्य जाहिर किया। मौके पर मौजूद भाजपा नेता आशीष सिंह ओैर मड़ियाहूं विधायक डा आरके पटेल ने भी अपनी नाराजगी जाहिर किया। इसे एक बड़ी साजिश बताते हुये इसकी शिकायत खुद मुख्यमंत्री से मिलकर करने की चेतावनी भी दी। जब यह खबर फैली तो सीइपीसी के पदाधिकारियों के चेहरे पर भी हवाईयां उड़ती दिखायी दी। और आनन फानन में वे पोस्टर हटा लिये गये जिस पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की फोटो नहीं थी। अगली सुबह 16 अक्टूबर को नया पोस्टर देखा गया। जिसमें अन्य नेताओं के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और भदोही सांसद की फोटो लगी थी। हालांकि सीइपीसी ने अपनी भूल तो सुधार लिया लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मामला यहीं पर दब जायेगा। अथवा भदोही में मोदी योगी के उपेक्षा का हौव्वा खड़ा करके भाजपा नेता कोई और गुल खिलायेगे। यह तो वक्त ही बतायेगा।
हालांकि इसे मोदी योगी के सम्मान से जोड़कर देख रहे स्थानीय नेता चुप बैठ जाये ऐसा लग नहीं रहा है। भले ही सीइपीसी के चेयरमैन बोल रहे हों कि यह एक मानवीय भूल है लेकिन जिस आयोजन को लेकर कई महानों से तैयारी चल रही थी। उसमें इतनी बड़ी चूक हो जाये कि तस्वीर से पीएम और सीएम ही गायब कर दिये जायें तो सवाल उठना लाजिमी हो जाता है।
फिलहाल इस मामले को लेकर सीइपीसी के चेयरमैन और कालीन निर्यातक रवि पाटोदिया ने क्या कहा यह भी सुनिये।