मुम्बई: बीस साल बारिश में जो मुम्बई की हाल था,आज भी वही है। हर साल बीएमसी बड़े बड़े वादे करती हैं बजट बनाती है,पर होता क्या है पहली बारिश और सब वादे और बजट डूब जाता हैं। इस बार भी नया कुछ नही हुआ है नया कुछ है तो शासन प्रशासन या मुम्बई महानगर पालिका का नाया तर्क,नया कुछ है तो बस बारिश के वजह से और बीस से ज्यादा लोगो की मौत की खबर। देश कई हिस्सों मे अभी भी सुखा है,मानसून अभी तक पहुंचा नहीं या बारिश ही नहीं हुयी। पुरे देश मे अभी बारिश तैतीस प्रतिशत रिकॉर्ड की गई है,पर मुम्बई मे तो दस सालो का रिकॉर्ड टूट गया।ऐसा कभी नही हुआ है कि यह मंजर हम पहली बार देख रहे है।
मानसून मे मुम्बई का साल दर साल ऐसा मंजर न दिखे तो आश्चर्य होगा। ये तो तय हो गया है, कि हर साल मानसून मे मुम्बई की सड़कों पर सैलाब,रेल पटरियों पर नदियां बहना,ट्रेनों का बंद होना,ट्रफिक का रूकना,सड़कों के गड्ढे जस का तस न होना जरूर होगा। साल बदल गया सरकारे बदल गई पर मुम्बई मे मानसून से निपटने के लिए सारी योजनाएं धरी की धरी रह गई।मुम्बई मे चार दिनो से हो रहे मुसलाधार बारिश ने पिछले कई सालो का रिकार्ड तोड़ा यही नही मुम्बई की मानसून ने इस बार एक रिकॉर्ड बनाया पैतालीस साल मे पहली बार महानगर मे मानसून एक महिने बाद पहुचा पर तीन दिन में ही महिने भर की बारिश हो गई ।
मुम्बई मे तीन दिनो मे पाच सौ पचास मिली मिटर रिकॉर्ड तोड़ बारिश हो गई, बताते चले की महानगर पालिका मे पिछले बीस सालो से भाजपा शिवसेना का अधिपत्य है। राज्य मे सरकारे काग्रेंस की भी रही और पाच साल से शिवसेना और बीजेपी की है,और दो बार से लोकसभा मे भी इन्हीं की दबदबा है,पर स्थिति महानगर की बीस सालो वाली है। सरकारे बदली पर हर मानसून मे तस्वीरों वही रहती हैं आगर मानसूनी बारिश मे कोई पुरानी तस्वीरे भी किसी को भेजे तो लोग उसे पुरानी तस्वीर नहीं मानेंगे है,क्योकि हालात तो वैसे ही है,अपितु साल दर साल बद से बत्तर होते जा रहे है। कुछ राजनेताओं को चिंता है मुम्बई की पर इसलिए कि इसी बहाने वो भी लोगो की निगाह मे आ जायेंगे सरल भाषा में समझे तो वो भी अपनी राजनीतिक चमकाने के लिए इस मुद्दे पर चार दिन तक बयान बाजी करके फिर भुला जायेंगे।
सवाल यह है कि मुम्बई मे फैली इस त्राहि त्राहि का जिम्मेदार कौन है। अभी हाल फिलहाल मे चेन्नई मे भी ऐसी बाढ़ आई थी । जिसपर सेन्टर आफ साइंस इनवायरमेंटल ने महानगरों मे लगातार बढ़ रहे बाढ़ की समस्याओं का कारण बताया है कि बढ़ती जनसंख्या, तलाबों पर अतिक्रमण,मौसम मे भारी फेरबदल,नालों की सफाई व रख रखाव न करना और सबसे बड़ा कारण शासन प्रशासन और अधिकारियों की लापरवाही और उनका सुस्त होकर काम करना। वैसे भी अब तो मुम्बई वालो को यह सब झेलने की आदत भी हो गई है। क्योंकि ना तो शासन प्रशासन मानसून से पहले जागता है, ना बृहद मुम्बई महानगर पालिका के अधिकारीगण। अभी हाल मे महानगर पालिकाध्यक्ष शिवसेना के विश्वनाथ पी महादेश्वर का एक टीवी चैनल के इण्टरव्यू मे कहते हुए देखा गया कि जितना पवई बिहार के तलाब मे पानी नहीं है उतना तो महानगर पालिका ने वाटर पंपों से वाटर लागिंग का पानी मुम्बई से निकाला है। अब सवाल यह उठता है कि मुम्बईकर को पूरे साल पानी पिलाने वाली तलाब मे तपती गर्मी के बाद भी पानी भरा रहता है क्या उससे ज्यादा पानी बीएमसी सड़कों से हटाई।