अतुल शास्त्री जी कहते है कि माता बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। ये समस्त देवियों में सबसे विशेष है और स्तम्भन की देवी हैं। सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती। शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का स्तम्भन होता है तथा जातक का जीवन निष्कंटक हो जाता है। किसी भी कार्य की सिद्धि के लिये जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।
तंत्र साधकों के मुताबिक बगलामुखी मन्त्र के आदि में ह्री या ह्लीं दोनों में से किसी भी बीज का प्रयोग किया जा सकता है।ह्रीं तब लगायें जब आपका धन किसी शत्रु ने हड़प लिया है और ह्लीं का प्रयोग शत्रु को पूरी तरह से परास्त करने के लिए करें.इससे वशीकरण की अद्भुत शक्ति मिलती है.परन्तु यह सब एक दो दिन में नहीं होता। इसके लिए कम से कम 40 दिन तक नियम से जप करना पड़ता है.इस मन्त्र के द्वारा शत्रु को शांत किया जा सकता है।
क्या है सामान्य बगलामुखी मंत्र ?
ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।
माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं। मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है।
जानिए श्री सिद्ध बगलामुखी देवी महामंत्र को—–
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे —-
- मधु. शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है।
- मधु. घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है।
- तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है।
- हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है।
वशीकरण की अद्भुत शक्ति
इस मन्त्र से मुकदमा जीता जा सकता है। आधिदैविक और आधिभौतिक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। बंधन से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है अर्थात यदि कोई बेकसूर व्यक्ति जेल में है या जेल जाने के आसार हैं तो इस साधना से अवश्य लाभ हो सकता है। भूत प्रेत और जादू टोन के आक्रमण से बचा जा सकता है। बगलामुखी साधना करने वाला व्यक्ति प्रभावशाली बनता है। उसे डर नहीं लगता। किसी प्रकार की चिंता हो तो वह भी कुछ समय के बाद दूर हो जाती है।
समयानुसार युग परिवर्तन होता रहता है और अनेकों बार देवताओं एवं मनुष्यों पर दैत्यों एवं अन्य प्रकार की विपदाएं उपस्थित हुई है ऐसी विकट परिस्थितियों में ‘आदि शक्ति ‘ ने किसी न किसी रूप में उपस्थित होकर देवताओं और मानव के दु:खों का हरण किया। एक बार ऐसे ही सतयुग काल में महा विनाशकारी तूफ़ान आया उस तूफ़ान की प्रचंडता से स्रष्टि की कार्य प्रणाली अस्त-व्यस्त हो गयी देवता, दानव, यक्ष, किन्नर, मनुष्य, पशु-पक्षी आदि सभी त्राहि-त्राहि करने लगे एक प्रकार से हाहाकार की स्थिति उत्पन्न हो गयी। स्वयं भगवान श्री हरि विष्णु जी चिंतित हो उठे तब उन्होंने सौराष्ट्र देश के हरिद्रा नामक सरोवर के निकट जाकर तप करना आरम्भ किया। उनकी कठिन तपस्या के प्रभाव से मंगलवार चतुर्दशी की अर्धरात्रि को देवी बगलामुखी का आविर्भाव हुआ। देवी ने प्रसन्न होकर श्री विष्णु को इच्छित वर प्रदान किया जिसके कारण संसार का कल्याण हुआ। निगम शास्त्र में जिन्हें “बल्गा – मुखी” कहा जाता है और आगम शास्त्रों में इन्हें “बगलामुखी” कहा जाता है। देवी को ब्रह्मास्त्र विद्या एवं त्रिशक्ति भी कहा जाता है। कलियुग में चमत्कारी प्रभाव दिखाने में यह अग्रणी देवी है तात्पर्य यह है कि देवी अति शीघ्र प्रसन्न होकर साधक को मनोवांछित फल प्रदान करती है कई बार इनके चमत्कार हुए है। कलियुग के इस दौर में जहाँ विज्ञान अपने आविष्कारों से असम्भव को सम्भव कर दिखा रहा है वहीं देवी बगलामुखी के आराधक एवं साधक देवी की कृपा से चमत्कारिक शक्ति अर्जित करके फलीभूत हो रहे हैं।