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माँ सिद्धिदात्री

atul shashtri

नवरात्र-पूजन के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती है। देवी दुर्गा के इस अंतिम स्वरुप को नव दुर्गाओं में सबसे श्रेष्ठ और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। जो श्वेत वस्त्रों में महाज्ञान और मधुर स्वर से भक्तों को सम्मोहित करती है। यह देवी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं और नवरात्रों की अधिष्ठात्री हैं। इसलिए मां सिद्धिदात्री को ही जगत को संचालित करने वाली देवी कहा गया है।

माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है।

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियाँ होती हैं और माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था और इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए।

नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा उपासना करने के लिए नवाहन का प्रसाद और नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करके जो भक्त नवरात्र का समापन करते हैं , उनको इस संसार में धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप है , जो सफेद वस्त्रालंकार से युक्त महा ज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती है। नवें दिन सभी नवदुर्गाओं के सांसारिक स्वरूप को विसर्जन की परम्परा भी गंगा , नर्मदा , कावेरी या समुद्र जल में विसर्जित करने की परम्परा भी है। नवदुर्गा के स्वरूप में साक्षात पार्वती और भगवती विघ्नविनाशक गणपति को भी सम्मानित किया जाता है।

मंत्र:- या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता | नमस्तसयै, नमस्तसयै, नमस्तसयै नमो नम: |

ज्योतिष सेवा केंद्र मुंबई संस्थापक पंडित अतुल शास्त्री सम्पर्क क्रमांक 09594318403/9820819501

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