हो गये न अचम्भित ! किन्तु है सोलह आने सच..। तीन जून को मुख्यमंत्री प्रवास की पूर्व शाम भदोही के कार्पेट एक्सपोर्ट मार्ट में सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त द्वारा सीएम कार्यक्रम के सह प्रभारी अशोक तिवारी को जड़ा गया कथित थप्पड़ खुद तिवारी समेत अन्यों के लिये भी कीमती लगने लगा है। भाजपा में सांसद श्री मस्त के विरोधी जहां थप्पड़ की कीमत किसी हीरे से अधिक आंक रहे हैं। वहीं थप्पड़ खाकर मामला खुलने के पूर्व तक चुप बैठे श्री तिवारी को भी इस बात का मलाल सालने लगा है कि काश! पूर्व में ही थप्पड़ की कीमत आंक पाता तो रातों रात चर्चित होने से वंचित न रह जाता। मामले में बीच बचाव करने वाले सदर विधायक रविन्द्र त्रिपाठी को इस बात का संतोष है कि आगे बढ़कर सामने आने का प्रतिफल उन्हें ब्राहृमणों के बीच शाबासी का पात्र बना दिया है।
उधर सांसद श्री मस्त के कद्दावर व्यक्तित्व के कारण खुद को पनपने का मौका न पाने वाले सांसद विरोधियों को थप्पड़ प्रकरण ने उनके विरोध में लामबंद होने का मौका दे दिया है। सूत्रों की मानें तो सांसद विरोधी एक ऐसा मोर्चा लामबंद होने लगा है जो उनके भावी चुनावी रास्ते में कांटे बिछाने का काम कर सकता है। इधर उपरी तौर पर तो सांसद महोदय मामले को सामान्य दर्शानें का प्रयास कर रहे हैं किन्तु मन के भाव यह चुभन तो दे ही रहें होंगे कि अहं के ताव को न थाम पाना उनके विरोधियों को लामबद्ध सक्रिय होने का मौका दे दिया है।
जो भी हो किन्तु सांसद का थप्पड़ यह साबित कर ही दिया कि बड़ों के चाटों की चमक किसी हीरे से कम नहीं होती। जो खाये उसकी भी बल्ले बल्ले ..! जो बचाये उसकी भी वाह वाह.. !!