Home मुंबई मुम्बई हादसा: जाने और कितने बली चढ़ेगे,आखिर इन मौतो का जिम्मेदार कौन?

मुम्बई हादसा: जाने और कितने बली चढ़ेगे,आखिर इन मौतो का जिम्मेदार कौन?

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मुम्बई :मुंबई के सीएसटी रेलवे स्टेशन के बाहर बना फुट ओवर ब्रिज गुरुवार को ढह गया। इस हादसे में दो महिलाओं समेत 5 लोगों की मौत हो गई जबकि 35 लोगों के घायल होने की सूचना है। हादसे में मरने वालों के नाम अपूर्वा प्रभु (35 वर्ष), रंजना तांबे (40 वर्ष), सारिका कुलकर्णी (35 वर्ष), जाहिद सिराज खान (32 वर्ष) और तपेंद्र सिंह (35 वर्ष) के नाम शामिल हैं। महाराष्ट्र के सीएम फडणवीस ने ट्वीट करते हुए हादसे पर दुख जताया। सीएम ने कहा, “टाइम्‍स ऑफ इंडिया बिल्डिंग के पास फुटओवर ब्रिज के गिरने की खबर सुनकर दुख हुआ। घटना को लेकर बीएमसी कमिश्नर और मुंबई पुलिस के अधिकारियों से बात करके घायलों की तत्काल मदद करने को कहा है। फडणवीस ने कहा है कि इस हादसे की उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी। पुलों के हाल ही में हुए ऑडिट पर भी सवाल उठते हैं तो उसकी भी जांच कराई जाएगी।

हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। वहीं हादसे में घायल हुए लोगों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी और उनके मेडिकल खर्च भी सरकार द्वारा वहन किए जाएंगे। वहीं महाराष्ट्र सरकार के मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि राज्य सरकार घायलों के इलाज की व्यवस्था कर रही है। रेलवे और बीएमसी इसके रखरखाव की जांच करेंगे। ब्रिज अभी सही कंडीशन में था। हालांकि इसमें थोड़ी बहुत मरम्मत की जरूरत थी, जिसके लिए काम चल रहा था। इस मामले की जांच की जा रही है। अब सवाल यह उठता है, कि काम पूरा होने तक ब्रिज पर आवाजाही बंद क्यों नहीं की गयी। बताते चले यह पुल लगभग 30 साल से भी ज्यादा पुराना था। पिछले साल भी ऐसी घटना हुई थी, गत 3 जुलाई 2018 को अंधेरी के जीके गोखले रोड ओवर ब्रिज ढह जाने से दो लोगों की मौत हो गई थी। इस पुल हादसे पर कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी की रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा किया था। रिपोर्ट में पता चला था, कि पुल के प्रभावित हिस्से पर 125 टन का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया था। रिपोर्ट मे कहा गया था कि पुल की मूल डिजाइन में पानी की पाइप को मिलाकर कुल 279.55 टन तक बोझ सहने की क्षमता थी। इसमें पैवर ब्लॉक, रेत और अतिरिक्त केबल की वजह से 125 टन का और बोझ लद गया था।

वहीं मुंबई के परेल-एलफिंस्टन स्टेशन के पास बने पुल पर ज्यादा भीड़ की वजह से भगदड़ मच गई जिससे एक बड़ा हादसा हुआ और 22 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि तीस लोग घायल हो गए थे। इन सब के पीछे इस पुल का संकरा, छोटा होना और पुराना होना सबसे बड़ी वजह था। यह मुम्बई का सबसे बड़ा फुट ओवर ब्रिज हादसा था। ऐसा बताया गया है कि इस पुल पर बढ़ते बोझ की शिकायत पुरानी थी और ये अंदेशा भी था कि कोई हादसा हो सकता है, और हुआ वही 29 सितम्बर 2017 मे उस वक्त भारी बारिश हो रही थी और फुटओवर ब्रिज पर खासी भीड़ थी। यह पुल एल्फिंस्टन रोड और परेल उपनगरीय रेलवे स्टेशनों को जोड़ता है। बारिश से बचने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गये थे। लाखों लोग क्षेत्र में स्थित कॉर्पोरेट और मीडिया कार्यालयों के साथ ही व्यावसायिक केंद्रों तक पहुंचने के लिए इस पुल का उपयोग करते चले आये थे। बड़ी संख्या में लोग सीढ़ियों और दशकों पुराने इस संकरे पुल पर फंस गये थे। इससे कई लोगों की मौत दम घुटने के कारण हो गयी थी। नीचे प्लेटफाॅर्म पर खड़े लोग बेबस होकर हादसा देख रहे थे। कई लोगों ने रेलिंग पर चढ़कर अपनी जान बचाने का प्रयास किया था।

साल दर साल लगातार हो रही इन घटनाओं के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? सीएसटी रेलवे स्टेशन की घटना के बाद ये सवाल जब रेलवे विभाग से पूछ गया तो जवाब में उन्होंने आरोप प्रत्यारोप का खेल शुरू कर दिया। हादसे पर रेलवे का जवाब था कि ये ओवरब्रिज बीएमसी का था, हम पीड़ितों के लिए अपना सहयोग कर रहे हैं। रेलवे के डॉक्टर और कर्मी राहत और बचाव कार्यों में बीएमसी के साथ सहयोग कर रहे हैं। वैसे आपको बता दें कि हर साल हो रहे इन हादसों के बाद पल्ला झाड़ने का सिलसिला शुरू हो जाता है। साल बदल जाता है हादसे की जगह बदल जाती है पर नहीं बदला तो बीएमसी और रेलवे का जवाब। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अंधेरी ब्रिज हादसे के बाद भी मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और रेलवे ने जिम्मेदारी से ठीक ऐसे ही पल्ला झाड़ लिया था।

बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त ने कहा था कि पुल बीएमसी ने बनाया था लेकिन, इसके रखरखाव की जिम्मेदारी रेलवे की थी।वहीं, पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रवीन्द्र भापकर ने कहा कि पुल बीएमसी ने बनाया था और मरम्मत की जिम्मेदारी भी बीएमसी की ही है। आखिर यह आरोप प्रत्यारोप का खेल कब तक चलता रहेगा। क्या आमजन मानस के जीवन का कोई मोल नहीं।

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