देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई अति संवेदनशी की श्रेणी में गिनी जाती है। प्रशासनिक व्यवस्था के तहत मुंबई को बारह पुलिस जोन में बांटा गया है। हर जोन का मुखिया एक डीसीपी होता है, जबकि हर जोन को मॉनिटर करने के लिए औसतन दो डीसीपी पर एक अडिशनल सीपी की नियुक्ति की जाती है। लेकिन यहीं मुम्बई पुलिस अपनी लचर व्यवस्था के कारण लाचार नजर आती है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि मुम्बई पुलिस का जहाज बिना पायलट के ही चलाया जा रहा है, जिसकी वजह से कानून व्यवस्था की समस्या हो सकती है।
बता दें कि डीसीपी रैंक के अधिकारियों का प्रमोशन व ट्रांसफर होने की वजह से मुंबई के सर्वाधिक महत्वपूर्ण जोन खाली चल रहे हैं। इनमें जोन-2, जोन-10 और जोन-8 का शामिल है। जोन-10 के निवर्तमान डीसीपी डॉ. नवीन चंद्र रेड्डी प्रमोशन पाकर चले गए हैं। जोन-8 के निवर्तमान डीसीपी अनिल कुंभारे भी प्रमोशन मिलने के बाद एडिशनल सीपी बनकर ठाणे शहर चले गए जबकि जोन-2 के निवर्तमान डीसीपी ज्ञानेश्वर चव्हाण भी प्रमोटेड होकर एडिशनल सीपी बन गए हैं। इन तीनों अधिकारियों के जाने से तीनों जोन बिना डीसीपी के ही है।
फिलहाल शासन द्वारा जोन-2 का प्रभार जोन-1 के वर्तमान डीसीपी अभिषेक त्रिमुखे, जोन-8 का प्रभार जोन-9 के डीसीपी परमजित सिंह दाहिया और जोन-10 का प्रभार जोन-11 के डीसीपी संग्राम सिंह निशानदार को दिया गया है लेकिन निशानदार इस समय अवकाश पर हैं। इस वजह से जोन-10 का अतिरिक्त प्रभार क्राइम ब्रांच के डीसीपी अकबर पठाण को दिया गया है।