पूर्वांचल के कुख्यात माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या हुये चार दिन बीत गये लेकिन रोजाना नये नये खुलाशे उसे चर्चा में रखे हुये हैं। उसकी हत्या के बाद जहां जेल में बंद जरायम की दुनिया के आलंबदारों की नींद उड़ी हुई है। वहीं योगी सरकार ने हत्या के न्यायिक जांच के आदेश भी दे दिये हैं। मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद अपराध के एक इतिहास का अंत हो चुका हैं, लेकिन हत्या की वजह क्या हुई उसकी उत्सुकता भी लोगों में बनी हुई है।
बता दें कि यूपी के बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी को गोली मारकर हत्या कर दी गयी। इस हत्या में कुख्यात अपराधी संनील राठी का नाम सामने आया। लेकिन वहीं सवाल यह भी उठे कि क्या बिना प्रशासनिक मिलीभगत के सुनील राठी ने मुन्ना को गोली मारी। सोशल मीडिया पर वायरल हुई दो तस्वीरों ने भी यह पोल खोल दी कि जब यह काण्ड हो रहा था तब कोई बाहर बैठकर हत्यारे को दिशा निर्देश भी दे रहा था।
अनुमान लगाया जा रहा है कि पहले उसे गोली मारकर तस्वीर ली गयी और वह तस्वीर किसी को भेजी गयी। फिर दूसरी तरफ से निर्देश मिलने के बाद दोबारा गोली मारकर तस्वीर भेजी गयी। पहली तस्वीर में मुन्ना के सीने में गोली नहीं लगी है जबकि दूसरी तस्वीर में सीने में भी गोली के निशान हैं।
अब आते हैं हत्या के बाद घटी घटनाओं पर। बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने अपने पति की हत्या के लिये जौनपुर के बाहुबली धनंजय सिंह पर हत्या के आरोप लगाये हैं। वहीं मन्ना सिंह के भाई अशोक सिंह ने गाजीपुर के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर हत्या के आरोप लगाये हैं। मन्ना सिंह की 2009 में हत्या कर दी गयी थी।
आरोप चाहे धनंजय सिंह पर लगाये गये हों या मुख्तार अंसारी पर। दोनों बातों में एक बात कामन है कि यदि कहीं से भी मुन्ना की हत्या में इनदोनों का कनेक्शन है तो यह तय है कि बजरंगी की हत्या उसके बढ़ते राजनीतिक महात्वाकांक्षा की वजह से हुई है। अशोक सिंह का कहना है कि बजरंगी के लगातार बढ़ते प्रभाव से मुख्तार अंसारी घबरा गया था। उसे लगता था कि अब बजरंगी उनके प्रभाव में नहीं रहेगा बल्कि उनके लिये चुनौती बनकर खड़ा हो जायेगा। इसलिये मुख्तार ने बजरंगी की हत्या करा दी।
एक बात तो तय है कि मुबई के मलाड से पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद बजरंगी की राजनीतिक महात्वाकांक्षा ही बढ़ी थी। उसने भी वहीं प्लान बनाये थे जो अक्सर अपराध जगत में बादशाहत हासिल करने के बाद अपराधी बना लेते हैं। अपराध के बल पर पैसा और पहुंच बनाने के बाद अपराधी सफेदपोश का चोला धारण कर लेते हैं और खुद को समाज का सेवक बनकर लूटने का तरीका बदल लेते हैं। मुन्ना बजरंगी को भी यहीं लालसा बेचैन किये हुई थी। वह भी काफी दिनों से राजनीति में हाथ पांव मारने में लगा हुआ था। पिछले चुनाव में बजरंगी ने अपनी पत्नी सीमा सिंह को चुनाव मैदान उतार कर अपनी राजनीतिक महात्वाकांक्षा को दिखा भी दिया था।
पूर्वांचल में जरायम की दुनिया के बादशाहों की एक लंबी फेहरिस्त है जो पहले पुलिस से डरकर भागते थे, लेकिन समय मिला तो अपना चोला बदल लिये और जो पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिये खोजती थी। जो पुलिस उनके लिये खतरा बनी हुई थी। वहीं पुलिस उन्हें सैल्यूट मारने के लिये मजबूर हुई। मुन्ना बजरंगी को यहीं बातें शायद कचोटती रही होगी। आखिर उसके समकक्ष के लोग माननीय बन चुके थे और वह हाथ पांव मार रहा था।
आम जनता भले ही यह समझे कि जब कोई माफिया जेल में बंद हो जाता है तो उसके अपराधों पर अंकुश लग जाता है। लेकिन यह सच नहीं होता है। हमारी कानूनी व्यवस्था इतनी लचर है कि ताकतवर व्यक्ति को जेल वरदान साबित होती है। जेल में बंद होने के बाद भी जरायम की दुनियां के बादशाहों की बादशाहत जेल से चलती रहती है और मुन्ना बजरंगी की बादशाहत कायम थी। पूर्वांचल की ठेकेदारी व रंगदारी में उसकी बड़ी भागीदारी थी। इसके साथ ही उसकी लगातार बढ़ती राजनीतिक महात्वाकांक्षा भी कुछ लोगों को रास नहीं आ रही थी। खैर योगी सरकार ने जांच बैठा दी है और आगे चलकर खुलाशे भी होंगे, लेकिन मुन्ना बजरंगी की हत्या के लिये राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी एक प्रमुख कारण हो सकता है।