Home अवर्गीकृत बंगाल में मानवता लोकतंत्र की हत्या

बंगाल में मानवता लोकतंत्र की हत्या

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राजनीति सत्ता की बाजी जितने की होड़ लग गई है। पैमाना कोई भी हो जहा लेफ्ट और कांग्रेस अपनी जमीन खो चुकी हैं। वही तृणमूल और बीजेपी में खूनी संघर्ष दंगा भड़काने हत्या आम बात हो गईं बंगाल की राजनीति में। इतिहास बताता है कि बंगाल की राजनीति हमेशा रक्तरंजित रही हैं। राजनीतिक द्वेष के कारण बंगाल की राजनीति हिंसक होती जा रही हैं। यह भूमि स्वामी विवेकानंद और रविन्द्र नाथ टैगोर जैसे महापुरुषों की है, जो शान्ति अमन का डंका हिंदी हिन्द और हिंदुत्व को बल देश मे ही नही विश्व स्तर पर मान बढ़ाया।नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत की आजादी में विश्व स्तर पर अंग्रेजों को मजबूर कर दिए थे। अवचेतन पुनर्जागरण करने वाले प्रेणना स्त्रोत रहे ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी गई। विरासत संस्कृति धरोहर की तोड़-फोड़ तक राजनीति आ गई है। बंगाल को पूरे विश्व मे पहचान दिलाने वाले देश को नई दिशा देने वाले महापुरुषों का इतिहास सम्मान को घृणा की राजनीति में आहत किया जा रहा जो समाज को नासूर बनाते जा रहे हैं।

लेखनी तो थमती नही, नरसंघार को रोकने में सरकारें कितनी निकम्मी थी लिखते हुए रूह कांप जाता हैं। सन 1997 में वामपंथी की सरकार में गृहमंत्री रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य ने विधानसभा में बताया था कि वर्ष 1977 से 1996 तक पश्चिम बंगाल में 28 हजार लोग हिंसा में मारे गए थे। ये आंकड़े महापुरुषों की धरती पर मानव क्रुरता को दर्शाता है। राजनीति हिंसा की भयावह तस्वीर देश के सामने पेश करती हैं। बंगाल की धरती पर राजनीतिक समर्थन से सत्ता प्रायोजित नरसंहार का इतिहास रहा है। बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों को जो मजबूत बच्चे औरत मर्द थे 40000 के आसपास कत्लेआम कर के मार दिया गया आजाद भारत में जो आज भी इतिहास के काले दिन में याद किए जाता हैं। महापुरुषों की धरती का राजनैतिक महत्वाकांक्षा में खूनी संघर्ष का इतिहास बहुत बुरा रहा हैं।

पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आने वाले हिन्दू जिनके पूर्वज यहाँ के थे जो भी सरणार्थी आया हो उनको भारत की नागरिकता दी जाए (अमेंडमेंट) पास कर के हिन्दू सिख समाज को बसाया जाय बीजेपी सरकार की प्रतिबद्धता हैं!!

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