Home मुंबई कारंवा ए सुखन की सजी महफ़िल हुआ मुशायरा

कारंवा ए सुखन की सजी महफ़िल हुआ मुशायरा

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ठाणे। मीरा रोड में 11 जुलाई गुरूवार को “करवान-ए-सुख़न” की चौथी अदबी नशिस्त जनाब “सिराज” अमर उर्फ़ अमरदीप ओबेरॉय साहब के दौलत-ख़ाने पर मुनअक़िद की गयी, जिसमें सदर और मेहमान-ए-खु़सूसी की हैसियत से जनाब इब्राहिम “अश्क” साहब ने शिरकत फ़रमाई और उनकी मौजूदगी ने इस प्रोग्राम के वक़ार में चार चाँद लगा दिए।

निज़ामत के फ़राइज़ को अंजाम देने का शरफ़ हमेशा की तरह इस बार भी इस नाचीज़ (अल्का जैन “शरर”) को अता किया गया। रहनुमा की हैसियत से जनाब लक्ष्मण दुबे जी ने शिरकत की। इस शानदार और कामयाब नशिस्त के रूह-ए-रवाँ रहे जनाब “सिराज” अमर उर्फ़ अमरदीप ओबेरॉय साहब। कल इस मौक़े पर उनके तीसरे शे’अरी मजमूये “एक दिल सौ अफ़साने” की रस्मे इज़रा भी अदा की गयी।

जनाब “सिराज” अमर साहब को बहुत बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएं। इस नशिस्त को अपने कलाम से बुलंदियां बख़्शने के लिए जिन हस्तियों ने शिरकत फ़रमाई उनके नाम हैं-:

जनाब सतीश शुक्ला “रक़ीब”, जनाब प्रमोद कुश “तन्हा”, जनाब राकेश शर्मा, जनाब यूसुफ राना, जनाब निर्मल “नदीम”, जनाब “सिराज” ग़ौरी, मोहतरमा हेमा चंदानी, मोहतरमा डॉ. वर्षा सिंह। जहाँ बेहतरीन शोअरा की शिरकत से तय था कि इस बार भी लाजवाब शायरी होगी, वहीं नये शिर्कतकरता ने भी इतना बेहतरीन कलाम पढ़ा के मोहतरम जनाब इब्राहिम “अश्क़” साहब को अपने सदारती ख़ुत्बे में ये कहने पर मजबूर होना पड़ा कि उन्होंने बहुत तवील अरसे के बाद ऐसी किसी नशिस्त में शिरकत की है जिसमें रत्ती बराबर भी कोई झोल (ख़ामी) नहीं दिखाई दिया।

इस प्रोग्राम को कामयाबी के मक़ाम तक लाने के लिए मैं तमाम शोहरा किराम के साथ हमारे क़ीमती सामईन और मेज़बान मोहतरमा निर्मला ओबेरॉय और मोहतरमा श्रीमती रश्मी लक्ष्मण दुबे जी का दिल की गहराईयों से शुक्रिया अदा करती हूँ।

आपकी ख़ैर तालिब
अल्का जैन “शरर”
(बहैसियत- सेकेट्री व स्पोक्सपर्सन ऑफ “करवान-ए-सुख़न” मुंबई)

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