लक्ष्मीशंकर पाण्डेय
अपने कालीन के हुनर से दुनियां में भारत का सिर उंचा करने वाली भदोही के सोये सौभाग्य को शायद वे ही लोग जगाने से रोके हुये हैं। जिनके कंधे पर इसके इसके विकास और जन सुविधाओं को सुलभ करने की जिम्मेदारी है। दावा— प्रतिदावा में करोड़ों की योजना परियोजना की घोषणा करने वाली नगर पालिका का सारा ध्यान उन्हीं कामों पर रहता है जहां से उन्हें पर्दे के ओट से मोटी कमाई की उम्मीद रहती है। शुरू से ही चलती आयी यह परम्परा आज भी अपने राह पर है।
यहीं कारण है कि भीषण गरमी के दौर में भी नगर नगर पालिका सार्वजनिक रूप से कहीं पानी का इंतजाम नहीं कर पायी है। पूरे नगर में घूमने के बाद भी आपको एक भी जगह ऐसी नहीं मिलेगी जहां आप अपना प्यासा गला तर कर सकें। जन जरूूरत की तीन चीजें होती हैं। जिसमें पहली जरूरत पानी ही है। दूसरी व तीसर जरूरत मूत्रालय व शौचालय की होती है। जिसका अभाव नगर की नासूरी समस्या है।
10 किलोमीटर वर्ग के नगर में आपको एक भी मूत्रालय या शौचालय नजर नहीं आयेगा। इसके पीछे नगरपालिका की अमानवीय सोच ही मानी जायेगी। जिसे जनता से जुड़ी सीधी जरूरतों की फिक्र ही नहीं है। इसका सारा ध्यान ऐसे कार्यो ऐसे कार्यों में लगा रहता है। जहां से नपा के लोगों के पाकेट वजनी होने की संभावना है।