उट के मूंह में जीरा , मात्र दो सरकारी अस्पताल वो भी सभी सुविधाओं से अपूर्ण
लाखो के जनसंख्या वाले वसई विरार शहर महानगरपालिका के अंतर्गत महानगरपालिका के 2 अस्पताल है , जो कि नाकाफी है यहा कि जनसंख्या लाखो की है लेकिन ज्यादा तर मध्यम वर्गीय व गरीब वर्ग से है जो कि रोज काम करते है रोज खाना खाते है उनके पास इतने पास पैसे नही है कि वो निजी अस्पतालों में अपना इलाज कर सके इसलिए आम जनमानस को मुम्बई के सरकारी अस्पतालों के सहारे रहना पड़ता है लेकिन मुम्बई के किसी भी अस्पताल में पहुचने के लिए वसई से लगभग 2 घंटे लग जाते है साथ मे एम्बुलेंस के खर्चे अलग से हो जाते है .इतने समय मे किसी की जान भी जा सकती है
किसी परिवार को अगर कोई इमरजेंसी आ गई तो उसे या तो किसी तरह मुंबई ले कर जाए या फिर यहां के किसी निजी अस्पताल में ले जाये , निजी अस्पतालों में बिल अधिक आने पर गरीब जन मानस यहां वहां से पैसे ले कर भरता है चाहे पैसे वह व्याज पर लाये या किसी से उधार मांग कर .निजी अस्पतालों की संख्या लगभग 250 है ,