नालासोपारा में स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाते कई दृश्य आपको मिल जायेंगे किन्तु यह दृश्य तो एक बानगी है। नालासोपारा पूर्व के रेलवे ब्रिज के नीचे का हिस्सा हैं। जहां खुले में लघुशंका आम बात हैं और इतनी बदबू के बावजूद प्रशासन कुंभकर्णी नींद मे सोया है। विरार की ओर निकलने वाला यह पादचारी पुल दुबे स्टेट की ओर से बाहर निकलने का मार्ग ही नहीं बल्कि नालासोपारा पूर्व के लगभग सभी रेल्वे यात्रियों के ट्रेन पकड़ने का सुगम रास्ता भी हैं।
सबसे अहम बात तो यह हैं की यहाँ सभी राजनीतिक दलों और संगठनों सहित आध्यात्मिक कार्यक्रमों के बहुतायत बैनर ,पोस्टर लगे बिना कोई भी कार्यक्रम संपन्न हो जाये यह संभव नहीं है। अवैध हाकर्स स्थानीय पुलिस और रेल्वे पुलिस के आशीर्वाद से फलफूल रहे ही हैं। ऐसे मे आप सपरिवार अगर कही आ जा रहे हैं तो,खासकर महिलाओं के लिए यह रास्ता पार करना बहुत कष्टप्रद हैं । कारण अश्लीलता की भरमार और छींटाकशी से रोड छाप मंजनूओ के बढ़ते हौसले और महानगर, पुलिस, प्रशासन की लापरवाही का नतीजा ही कहा जाएं या विश्व की सबसे बड़ी पार्टी या सत्तारूढ़ क्षेत्रीय दलों के नुमाइंदों की निष्क्रियता। ऐसे में तो स्वच्छ भारत का नारा सिर्फ नारेबाजी तक ही सीमित हैं, ऐसा प्रतीत हो रहा हैं।