मुंबई
रा.सा.सा.व सां संस्था काव्यसृजन की ९४वीं मासिक व नवीं गूगल मीट पर आनलाईन काव्यगोष्ठी विदुषी नीलिमा पाण्डेय के संचालन में डॉ रामनाथ राना की अध्यक्षता जहाँ मंच को सुशोभित कर रही थी तो किशन तिवारी की उपस्थिति गरिमामयी बना रही थी|मंच पे चार चाँद तब लग गया जब डॉ उमेश शुक्ल जी पधारे|
आयोजन की शुरुआत पूनम शर्मा द्वारा सरस्वती वंदना से हुई|इसके बाद कवियों ने जो शमा बाँधी कि आयोजन शाम सवा पाँच बजे से शुरू होकर रात सवा आठ बजे तक चला|
आयोजन में जब अवधेश विश्वकर्मा नमन जी ने अपनी संगीतमय प्रस्तुती दी तो सब झूमने पर मजबूर हो गये|इसके बाद तो एक से बढ़कर एक रचनाएं रचनाकारों द्वारा सुनने को मिली|जिसमें दिम्बर भट,सौरभ दत्ता जयंत,आनंद पाण्डेय केवल,श्रीधर मिश्र,डॉ किशन तिवारी,डॉ उमेश शुक्ल,डॉ रामनाथ राना,प्रा.अंजनी कुमार द्विवेदी,पं.शिवप्रकाश जौनपुरी,अमित दूबे श्रीधर मिश्रजी ने अपनी अपनी विविध रंगी रचनाएं प्रस्तुत की|
इस २०२१ की पहली काव्यगोष्ठी में उपस्थिति के मामले में कवयित्रियाँ सरस पड़ी|प्रज्ञा राय,सुमन प्रभा,नीलिमा पाण्डेय,संगीता पाण्डेय,पूनम शर्मा,सविता वर्मा,रेखा तिवारी आदि ने शाम को काव्यमयी बना दिया|और खूब वाहवाहियाँ लूटी|
अतिथि डॉ उमेश शुक्ल व डॉ किशन तिवारी जी ने आयोजक व आयोजन की मुक्त कंठ से प्रशंसा की|अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ रामनाथ राना जी ने संस्था के कार्य की सराहना कविता द्वारा ही की और कवियों पर प्रकाश भी कविता द्वारा ही डाला|ऐसा शायद पहली बार हुआ हो कि अध्यक्ष कविता से कवियों का उत्साह वर्धन किया हो जैसा कि आज डॉ रामनाथ राना जी ने किया|उसके बाद अपनी रचना से सबको आह्लादित कर दिया|
अंत में संस्था के उपाध्यक्ष श्रीधर मिश्र जी ने सबका आभार प्रकट किया|खास कर जय यादव ,योगेन्द्र कुमार,व विनती राठी जी जो शुरू लेकर अंत तक कवियों को सुना और उनका उत्साह वर्धन किया अपनी तालियों व वाहवाहियों से|और सहयोग व सतत स्नेह बनाये रखने की अपील भी की|