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राष्ट्रवादी युवा वाहिनी गुजरात की टीम द्वारा 14 देशों की यात्रा कार से करने वाली केंसर से पीड़ित महिला का किया गया भव्य सम्मान

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राष्ट्र्वादी युवा वाहिनी सूरत जिले की टीम के द्वारा भारूलता जी का स्वागत किया गया।

जिसमें राष्ट्रीय  कार्यकारी अध्यक्ष महेन्द्र राज सिहं, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष अशोक खामकर जी, प्रदेश उपाध्यक्ष संज्जन भाई उपाध्याय, जिला अध्यक्ष रोकी भाई उपाध्य, क्ष विजयशुक्ला जी, जिला सचिव विनय शुक्ला जी, जिला उपाध्यक्ष राजेश मोरे की उपस्थिति रही।
महाराष्ट्र की भारुलता ने 10 और 13 साल के बेटों के साथ ड्राइव करते हुए उत्तरी ध्रुव पर तिरंगा फहराने का एक अनोखा रिकॉर्ड कायम किया गया है।

मुंबई-महाराष्ट्र की रहने वाली भारुलता पटेल को ड्राइविंग का जुनून तो पहले से था, लेकिन इस बार वह खास मकसद के साथ 21 अक्टूबर को ड्राइव पर निकलीं। जिनका मकसद उत्तरी ध्रुव पर तिरंगा फहराना था। वो भी अपने दो बच्चों को साथ लेकर , 10 साल का आरुष और 13 साल का प्रियम, उनके दोनों बच्चे है। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला बन गई हैं। उन्होंने 10 हजार किमी का सफर ब्रिटेन के ल्यूटन से शुरू किया। 14 देशों से होते हुए तीनों उत्तरी ध्रुव पहुंचे। बर्फीले तूफान में भी फंसे। चार घंटे बाद रेस्क्यू किए गए। फिर सफर शुरू किया और उत्तरी ध्रुव पर तिरंगा फहराकर ही लौटी।

भारुलता ने बताया आर्कटिक सर्किल का सफर करने का आइडिया मुझे मेरे बच्चों से आया। मुझे ब्रेस्ट कैंसर है। इस वजह से डिप्रेशन में थी। तब बच्चों ने मुझे कहा कि मम्मी आपको ड्राइविंग पसंद है, तो क्यों न हम लंबे सफर पर चले जाएं और सेंटाक्लॉज से कहें कि कैंसर को हमेशा के लिए खत्म कर दो। बच्चों की ये मासूमियत भरी बात मेरे दिल को छू गई। फिर मैंने आर्कटिक सर्किल ड्राइविंग कर फतह करने की ठानी, ताकि दुनियाभर की महिलाओं को कैंसर के प्रति जागरूक कर सकूं।’

फ्यूल जमने के डर से इंजन बंद नहीं किया

भारुलता और दोनों बेटे स्वीडन के उमेया गांव में बफीर्ले तूफान में फंस गए थे। गाड़ी बन्द न हो जाये इसके लिए गाड़ी को चालू रखा और चार घंटे की मशक्कत के बाद रेस्क्यू टीम ने उन्हें सकुशल निकाल लिया। फिर गांव के ही एक घर में शरण ली। वह घर केरल के एक परिवार का था। चार दिन रुकने के बाद फिर आगे की यात्रा शुरू की।

भारुलता सफर में गाड़ी का इंजन बंद नहीं कर सकती थीं क्योंकि शून्य से नीचे तापमान में फ्यूल जमने का खतरा था। वे पूरा दिन लगातार ड्राइव करते हुए 9 नवंबर को माइनस 15 डिग्री तापमान के बीच रात 11:30 बजे दुनिया के आखिरी छोर कहे जाने वाले उत्तरी ध्रुव (नॉर्डकैप) पहुंच गईं। लौटने पर ब्रिटिश पार्लियामेंट में तीनों का स्वागत हुआ।

पेशेवर वकील भारुलता के पति सुबोध कांबले डॉक्टर हैं। वे घर पर बैठकर ही परिवार को नेविगेट करते रहे। भारुलता के पास बैकअप कार नहीं थी और न ही बैकअप के लिए कोई क्रू था। इसलिए सुबोध के पास भारुलता की कार का ट्रैकिंग पासवर्ड था। सफर के दौरान वे सैटेलाइट की मदद से घर बैठे ही बताते थे कि कहां पर फ्यूल स्टेशन है, कहां खाना मिलेगा। वे बताते रहे कि रुकने के लिए सुरक्षित स्थान कहां मिलेगा। वे ठहरने के लिए होटल की बुकिंग भी पहले ही कर लेते थे। सफर का मैपवर्क उन्होंने ही किया था। आखिरी के दिनों में रोज लगातार 800 किमी ड्राइविंग का शेड्यूल बनाया गया था।

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