Home मन की बात सामाजिक स्वप्न पूर्ण करने हेतु संगठित होना आवश्यक- हरिकेश शर्मा नंदवंशी

सामाजिक स्वप्न पूर्ण करने हेतु संगठित होना आवश्यक- हरिकेश शर्मा नंदवंशी

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सादर वंदन बन्धु सैन, सबिता, श्रीवास, शर्मा, वर्मा, नन्दवंशी, मारू, पारेख, वालंद, नाभिक, नापित, नाई, उमरे, सराठे, ठाकुर, लिंबचिया, प्रमाणिक, खवास, गठोडिया, टोक्सिया, नन्द, राजौरिया सर्व स्वजातीय, बन्धुओं मित्रों आज सामाजिक-नैतिक मूल्य नष्ट-भ्रष्ट हुये हैं। इस समाज में कोई भी व्यक्ति सत्य के प्रति निष्ठावान सहज जीवन नहीं जी सकता है। जो की आपने भी समाजिक जीवन मे अनुभव किया होगा। समाजिक संरचना एवं स्तिथियों-परिस्तिथियों में बदलाव लाना अतिआवश्यक है। व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन के लिये बुद्धजिवी के द्वारा आदर्शवादी विचारधारा के लोगों को एक साथ होने की जरुरत है। समय का चक्र परिवर्तन की ओर अग्रसर हो रहा है एक ऐसे आदर्श समाज को जन्म देने की तैयारी कर चुका है जहाँ पर समाजिक समरसता के साथ सत्यता, सदाचार, सादगी और प्रार्थना के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा और विश्वास दृषिटगोचर होगा।

आज के समाज में नियति और निती को एक होने की सम्भावनाओं और परिसिथतियों को स्वत: जन्म देने को व्याकुल है। एक सैन एक संगठन का उद्धघोश करते हुए आदर्शवादी, समाजबादी, विचारधारा के लोग एक हो जाने के लिये तैयार हैं। सैन (नाई) समाज के हित के लिये सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन किया जाये, समाज एक ऐसा दर्पण है जिसमें संस्कृति रीति-रिवाज, कुप्रथा का उन्मूलन एवं संस्कार के प्रतिबिम्ब आज भी दिखाई देते है। गाँव में ऊँच-नीच रंग- रुप अमीर-गरीब का मिश्रित रुप है, जिसका सृजन विभिन्न सामाजिक संस्कृतियों के समागम से हुआ है। आज के युग में भी जो सादगी सदाचार एवं निर्मलता गाँव के लोगों में उपलब्ध है वह शहरों में दुलर्भ है, कुछ आवंक्षित, असमाजिक लोगों ने समाजिक चित्रण बिगाड कर रख दिये हैं। उनका खुद सत्यानास हुआ है, आगे भी होगा, स्वस्थ्य सदाचारी भोली सुरत सिरत एवं शोहरत लोगो को पसंद है।

जनजातीय समाजिक अभिव्यक्ति उनके जीवन और जीवन प्रक्रिया गरीबी-भूख और विवशता से जुड़ी हुई भाव संवेदनात्मक प्रेरित और आकर्षित करती है। छोटे-छोटे गाँव से निकला संस्कार जो स्वाभाविक निश्छलता निराभिमानता और प्रकृति से जूझने तथा साहसपूर्ण जीवन जीने की उत्कट अभिलाषाएँ एवं उत्साह कई बार दिखने और दिखाने का अवसर प्राप्त हुए हैं। जो की पुरे समाज के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन के उत्तम उदाहरण हैं, कम पढ़े होने के कारण साहित्य का लिखित रूप नहीं दे पाता लेकिन अपनी सांस्कृतिक बुद्धिजीवी लोग के सान्निध्य मे, अभिव्यक्तियों को लेखन के माध्यम से धार्मिक, समाजिक, वीर गाथा समारोह और इतिहासकार एन केन प्रकार से संजोये हैं। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज की तारिख तक न ही गलत किये हैं न करेंगे और न ही गलत बर्दाश्त करेंगे, आज शपथ ले समाज के लिये निस्वार्थ सेवा करने का फैसला लें।हर एक गाँव में समाज के हित के लिए कार्य करेंगे।

पारम्परिक व्यवसाय कोअत्याधुनिक तकनीक के द्वारा करेगे तभी मेरा सैन (नाई) समाज समृद्ध बनेगा। जो आगे चलकर भ्रष्ट व्यवस्था को बदल देंगे, आज समय की माँग है इस समाज में विश्वास और नैतिक मूल्यों की पुर्नस्थापना हो ताकि लोगों को उम्मीद रहे की आज भी समाजिक भाव सदैव समाज की सेवा के लिये है। इन्हीं विचारों से अभिभूत और परिपुष्ट एक आदर्श व्यवस्था और समाज की स्थापना के लिए हम प्रतिबद्ध है। व्यवस्था परिवर्तन के लिये सत्ता में भी भागीदारी जरूरी है। सिद्धान्त, नीतियाँ, उद्देश्य और लक्ष्य लोग विधि द्वारा स्थापित देश के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा के साथ समाज के हित में काम करूँगा। समाज से जुड़े लोग समाजवाद, पंथ निरपेक्षता और लोकतन्त्र के सिद्धान्तों के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेंगे साथ ही समाजिक सम्प्रभुत्ता एकता व अखण्डता को अक्षुण्य बनाये रखेंगे, समाज के हित छोड़कर किसी भी प्रकार की हिंसा को प्रोत्साहित नहीं करेंगे और नहीं किसी भी प्रकार की हिंसा में भाग नहीं लेंगे।

हम लोगों की सोच आदर्शवादी होना चाहिये, हमारा लक्ष्य गाँव में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भरपेट भोजन मिले, हर घर परिवार के लोग अपने अधिकार को समझे, बड़े अस्पताल मे दाखिल होकर स्वास्थ लाभ ले सकें, बच्चे पढाई अच्छे से कर सके, बेरोजगारी दूर हो जिससे प्रत्येक व्यक्ति को काम, वस्त्र और मकान मिल सके। एकता और सौहार्द को अक्षुण्य बनाये रखने की दिशा में कार्य करेंगे, मैं सदा ही किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के विरूद्ध हूँ। भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिये हम प्रतिबद्धता से कार्य करेंगे। संविधान के अनुसार सम्मत प्रत्येक सम्भव प्रयास करेंगे कि समाज में सदाचार और नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहन मिल सके, समाज के सभी नागरिक जन प्रार्थना में विश्वास करें।

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