भदोही। पिछले शनिवार को लखनों में हुई स्कूल वैन दुर्घटना से एक हफ्ते में काफी कुछ बदल गया। जिले में प्रशासन की लापरवाही से तीन मासूम काल की गाल में समा गये और कई जिदंगी-मौत के बीच जंग में लड रहे है। शासन स्तर से वैन दुर्घटना में घायलों को जिले के सांसद ने एक-एक लाख रूपये की सहायता राशि दी। लेकिन दिशा, आयुष और रानी की कमी को कोई पूरा नही कर पायेगा। तीनों मासूम जिले में व्याप्त लापरवाही व भ्रष्टाचार की भेंट चढ गये।
पुलिस ने भी वैन चालक और स्कूल संचालक को गिरफ्तार करके अपने काम को कर लिया। और घटना की जांच के लिए टीम गठित कर दी है। परिवहन विभाग ने भी कई वाहन को सीज किया और चालान काटा। शिक्षा विभाग ने जिले भर में चल रहे सौ से अधिक गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों पर नोटिस लगाकर वहां पर पढ रहे बच्चों को नजदीक के मान्यता प्राप्त या सरकारी स्कूल में नाम लिखाने का फरमान जारी कर दिया है। उधर जिले के गैर मान्यताप्राप्त विद्यालयों ने भी लामबंद होकर अपने रोजीरोटी, बच्चों के भविष्य और प्रशासन के इस रवैये को लेकर मुखर हो रहा है। स्थानीय लोग पीडित बच्चों के दवा और मृत बच्चों की मुआवजा राशि बढाने तथा जिले के कुछ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे है।
12 जनवरी से चल रही विभिन्न घटनाक्रम में कुछ चीजें निकल कर सामने आई जो सच में विचारणीय है।
सांसद चेक देने बीएचयू पहुंचे लेकिन सांत्वना देने भगवास नही।
पिछले शनिवार को हुई इस घटना ने पुरे जिले के लोगों को झकझोर कर रख दिया। और यह दर्द गुरूवार को और बढ गया जब भगवास निवासी कैलाश यादव की बिटिया दिशा की मौत हो गई। पुरा जिला यह खबर सुनकर सन्न रह गया।
गुरूवार को ही शहीद झूरी सिंह स्मारक पार्क, परऊपुर में पूर्व सैनिक सम्मान समारोह कार्यक्रम था। इसमें जिले के सांसद वीरेन्द्र सिंह भी उपस्थित थे। परऊपुर से भगवास गांव मात्र कुछ ही किमी की दूरी पर स्थित है लेकिन सांसद भगवास निवासी कैलाश यादव की बेटी दिशा की मौत पर सांत्वना देने भी नही गये। जबकि दो दिन पूर्व सांसद ने बीएचयू में सभी घायलों को चेक वितरण करने और घायलों को देखने गये थे।
अब यहां प्रश्न बनता है कि दिशा की मौत की खबर के बाद प्रशासन के लोग कैलाश के यहां पहुंचे जबकि जिले का सांसद मात्र तीन किमी की दूरी तय करके दिशा के घर नही गये। क्योकि सांसद का काफिला दुलहीपुर से ही होकर ज्ञानपुर गया होगा। भगवास दुलहीपुर से तीन किमी की दूरी पर स्थित है। लगता है कि शायद सांसद जी को दिशा की मौत की जानकारी न रही हो, लेकिन जिले में यह खबर सुबह से ही मीडिया मे चल रही थी। और इस डिजीटल युग में जानकारी न होना बडी बात है।
क्या दो दिन में सारी व्यवस्था हो गई चुस्त-दुरूस्त?
वैन दुर्घटना के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्यवाही करते हुए दो दिन में सौ से अधिक अमान्य स्कूलों को सीज किया। लेकिन कोचिंग पर बनी रही कृपा। आज भी कई विद्यालय है जो कम मान्यता के बाद भी चला रहे है अधिक कक्षाएं। डीघ के मनोहरपुर के एडी पब्लिक स्कूल के संचालक ने प्रशासन के आदेश पर चूना लगाकर कराया अपने ताकत का अहसास। क्या जिले के सभी गैर मान्यता प्राप्त स्कूल हो गये बंद? जिले में कही भी नही चल रही है अवैध कोचिंग? विद्यालयों में लगी वैन व बसें पुरे मानक के अनुसार चल रही है? यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए परीक्षा केन्द्र कर रहे है सभी मानक पूरा? जिले की शिक्षा व्यवस्था मात्र एक हफ्ते में आ गई पटरी पर? यदि जिला की व्यवस्था को सुधारने में मात्र दो दिन काफी है तो पहले क्यों नही सही की गई व्यवस्था? क्या व्यवस्था को ढीला छोडने में प्रशासन व विभागों का सहयोग रहता है? आखिर किसी घटना के बाद ही क्यों जागता है प्रशासन?
‘किसी’ के दबाव में तो नही आ गया प्रशासन?
दो दिन ताबक तोड छापेमारी से जिला प्रशासन पुरे फार्म में दिखा लेकिन धीरे-धीरे मामला शांत हो गया। शुक्रवार को बिना मान्यता के स्कूल संचालकों ने लामबंद होकर प्रशासन का विरोध प्रदर्शन किया। यहां लगता है कि जिला में शिक्षा माफियाओं की पकड बडे नेताओं व अधिकारियों तक रहती है। इसीलिए शायद माफियाओं ने कही से प्रशासन के अधिकारियों पर छापेमारी न करने का दबाब बनवाया हो। जिससे बचे फर्जी स्कूलों का नाम सामने न आए और शिक्षा माफियाओं की दुकान चलती रहे। इस बात का प्रमाण तो स्पष्ट दिख रहा है कि आज भी कई कोचिंग व मान्यता से ज्यादा की कक्षा कई जगह चल रही है लेकिन प्रशासन को खबर नही है। इसके पीछे कही शिक्षा माफियाओं की कोई चाल तो नही है?
वैसे कुछ भी हो चाहे जिसकी गलती हो लेकिन अब भी जरूरत है सभी को जागरूक होने की। जिससे आगे कभी इस तरह की घटनाओं से हमें दो चार न होना पडे। क्योकि प्रशासन के विभागों के साथ साथ आम नागरिक का भी कर्तव्य बनता है कि समय समय पर बच्चों के विद्यालय, अध्यापको, वाहन और व्यवस्था की जानकारी लेते रहे और कही कुछ आशंका होने पर सम्बन्धित व्यक्ति को सूचित करें। जिससे समाज में फिर से कैयरमऊ या लखनों जैसी घटना से बचा जा सके।