Home अवर्गीकृत उत्तरभारत हमारे नाम से जुडा है जबकि महाराष्ट्र हमारी कर्मभूमि है-अमरजीत मिश्रा

उत्तरभारत हमारे नाम से जुडा है जबकि महाराष्ट्र हमारी कर्मभूमि है-अमरजीत मिश्रा

कल्याण :पूर्व स्थित चक्कीनाका के गुणगोपाल मंदिर परिसर के उस प्रांगण में उमङ पङा था उत्तरभारतीयो का रेला 10 मार्च रविवार को शाम 6 बजे से जिस परिसर में मुंबई एवं उसके उपनगरीय इलाको में रहनेवाले उत्तरभारत के न सिर्फ दिग्गजो की उपस्थिती हुई थी बल्कि हजारो की तादाद में उत्तरभारतीयो के आमजनो का भी जत्था पहुँचा था।

बता दें कि उत्तरभारतीय संगम संस्था के तत्वाधान में आयोजित उत्तरभारत स्नेह संगम के मौके पर पुलवामा में शहीद सैनिको की विनम्र श्रद्धांजली के इस कार्यक्रम में भजन गायन के कार्यक्रम के अलावा विशिष्ट निमंत्रित अतिथियो के स्वागत समारोह का कार्यक्रम भी रखा गया था जिसकी शुरूवात भगवान श्रीराम की मूर्ति पर कल्याण के सुप्रसिद्ध समाजसेवक रमाकांत उपाध्याय के कर कमलो द्वारा माल्यार्पण के साथ हुआ।

तत्पश्चात इस कार्यक्रम के विशेष आयोजक भारतीय जनता पार्टी के संदीप सिंह के द्वारा तकरीबन तीन मिनट का विडीयो देखने की गुजारिश की गयी जिसमें जय श्रीराम के नारो और उदघोषो से परिसर गूँज उठा।

बतातें चलें कि इसके बाद एक तरफ उपस्थित अतिथीगणो में नवीन सिंह, मनोज राय, रमाकांत उपाध्याय, विनय शुक्ला आदि ने अपने संवादो से युवाओ को काफी प्रेरणा दिए तथा आकर्षित किए वही दूसरी तरफ हाल ही में महाराष्ट्र सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा पाए अमरजीत मिश्रा ने अपने भाषणो में उत्तरभारत एवं महाराष्ट्र का बराबर समन्वय बनाए रखे।
उनका कहना था कि जिस उत्तर भारत की माताएँ बचपन में ही अपने लाङलो को ‘चंदा मामा आरे आव, पारे आव, सोने के कटोरवा में दूध भात लेले आव’ जैसी लोरीयाँ गाती हो वह भी तांबें या पीतल की नही बल्कि सोने की बनी महंगी कटोरी के लालसा और जिक्र के साथ चंदा मामा को आसमान से धरती पर बुलाने की अनुनय विनय करती हो, वहां कि महिलायें अशिक्षित कैसे हो सकती है ?

अब समय आ गया है कि हम सबको अपने अस्तित्व को पहचानना होगा, हम सभी उत्तरभारतीयो को एकजुट होना  होगा ताकि कही भी किसी दूसरे प्रांतो में हमारे समाज के लोगो की ना ही कोई खिल्ली उङा सके अथवा न ही कोई हम सबका मजाक बना सके। सभी कार्यक्रमो का समापण रात तकरीबन 10 बजे हुआ।

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