Home भदोही डीघ ब्लाक के केवटाही प्राथमिक विद्यालय का जबाब नहीं

डीघ ब्लाक के केवटाही प्राथमिक विद्यालय का जबाब नहीं

भदोही। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भी जिले के कुछ सरकारी अध्यापक नौकरी को अपनी जागीर समझकर मनमानी ढंग से नौकरी कर रहे है। रही बात विभाग की तो विभाग तो किसी शिकायत के इंतजार में बैठा है कि शिकायत कोई करे तभी कुछ हो नही तो मूक दर्शक बन बैठे है। और शिकायत भी होगी तो लापरवाह व कामचोर अध्यापकों को विभाग ही बचाने के जुगाड में परोक्ष रूप से खडा रहेगा। क्योंकि जो अध्यापक विद्यालय में बच्चों को पढाने के बजाय केवल कागजी खानापूर्ति करके मनमानी पूर्ण रवैया अपनाते है उनके ऊपर कही न कही किसी नेता या अधिकारी का वरदहस्त जरूर है।

जो सरकारी पैसा लेने के बाद भी देश के नौनिहालों के साथ अन्याय कर रहे है। जिले के कुछ विद्यालय तो ऐसे है कि बच्चों को सामान्य चीजें नही आ रही है। इसके पीछे केवल अध्यापकों की लापरवाही व कागजी खानापूर्ति ही है। लेकिन इसी जिले में कुछ ऐसे भी मेहनती, कर्मठ व ईमानदार सरकारी अध्यापक है जिनके मेहनत, कर्मठता का प्रमाण खुद बच्चों के कार्यों व तौर तरीके से देखने से स्प्ष्ट हो जाता है और मन में एक आशा की किरण जागती है कि आज भी देश व समाज के लिए काम करने वालों की कमी नही है किन्तु मुट्ठी भर कामचोर व भ्रष्ट अध्यापकों की वजह से सभी को वैसे ही देखा जाता है।

भदोही जिले के डीघ ब्लाक में केवटाही गांव में स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के रहन-सहन, व्यवहार, पढाई व संस्कार देखकर नही लगता कि ये बच्चे सरकारी विद्यालय के छात्र है। इन बच्चों को इतनी अच्छी तरह से निखारकर भारतीय संस्कृति का भाव इनके मन में बिजोरोपित करके देश के लिए एक मजबूत नागरिक के रूप में तैयार किया जा रहा है। जहां बच्चों को पढाई के साथ साथ खेलकूद, प्रतियोगिताओं, भारतीय संस्कृति व सभ्यता का ज्ञान व उनको अनुकरण करने की प्रेरणा, संस्कारयुक्त माहौल इत्यादि की सीख दी जा रही है।
केवटाही के प्रभारी प्रधानाचार्य राजधर पाण्डेय ने बताया कि हम सब प्रयास कर रहे है कि हमारे विद्यालय के बच्चे पढाई के साथ साथ खेलकूद, प्रतियोगिताओं में आगे बढे और भारतीय सभ्यता व संस्कृति को आत्मसात करें जिससे अपनी भारतीय संस्कृति, संस्कार आगे आने वाली पीढियों में बना रहे। कहा कि सभी अध्यापकों को भी मेहनत करके देश के नौनिहालों को एक नई दिशा प्रदान करना जरूरी है। जब तक किसी काम में सबका सामूहिक योगदान नही होगा तब तक किसी बडे कामयाबी की कल्पना करना सही नही है।

काश! केवटाही के अध्यापकों के जैसे सभी अध्यापकों के भाव व विचार हो जाते और देश के नौनिहालों को एक नई उर्जा प्रदान करके शिक्षा, खेलकूद, प्रतियोगिताओं व अन्य गतिविधियों में बेहतर करते। वैसे अध्यापकों के प्रतिभा में कोई कमी नही है सब एक से बढकर एक है। बस जरूरत है कि देश के नौनिहालों को ईमानदारी पूर्वक व कर्मठता से सही शिक्षा देकर देश के योग्य नागरिक के तरह तैयार करना है। अध्यापक ही है जो देश के विभिन्न क्षेत्र की प्रतिभाओं को तरासकर विश्व पटल पर एक कामयाब भारतीय को प्रस्तुत करता है।

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