भदोही: यह तो अक्सर सुनते है कि कानून अंधा होता है लेकिन कानून के रखवाले यदि अंधा होकर अनदेखी करने लगे तो समाज का क्या होगा ? क्योंकि इन्ही पुलिस प्रशासन के हवाले जिले के लोगो की सभी कानून व्यवस्था निर्भर है लेकिन इनकी इस तरह की लापरवाही युक्त रवैया तो इनके कार्य पर प्रश्न लगाता है। एक मामला भदोही जिले के औराई थाना क्षेत्र के माधोसिंह का है जहां पुलिस की अंधेर देखने को मिली।
मालूम हो कि जनपद के सबसे पुराने सोशलिस्ट समाजवादी चिंतक प्रभु नाथ मिश्र के छोटे बेटे और समाजवादी पार्टी के जिला प्रवक्ता धर्मेंद्र कुमार मिश्र पप्पु के छोटे भाई सौरभ मिश्र के ऊपर उप जिला अधिकारी औराई द्वारा 110 का चालान करते हुए नोटिस जारी किया जिसमें लिखा गया है कि सौरभ मिश्रा खतरनाक किस्म का दु:साहसिक अपराधीन हैं,आये दिन लोगो को मारना पीटना व प्रति दिन प्रताड़ित करता रहता हैं। क्षेत्र में इसका भय व आतंक है, यह कि किसी भी समय ऎसी दु:साहसिक घटना कर सकता है।
विपक्षी (सौरभ) के विरुद्ध थाना औराई में निम्न अपराध पंजीकृत है। मु०अ०सं० 127 /2017 धारा 323 504 506 आईपीसी सौरभ के कृत्यों से जनसाधारण को भयभीत आंतकित तथा असुरक्षित होना बताया गया है। मानव समाज के हित को ध्यान में रखते हुए विपक्षी सौरभ को बगैर जमानत मुचलका के स्वतंत्र विचरण करना उचित प्रतीत नहीं होता। अतः विपक्षी उपरोक्त को 1 वर्ष की अवधि तथा शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु जनसाधारण में अच्छा व्यवहार बनाए जाने है विपक्षी को ₹100000 का मुचलका तथा उतना ही धनराज के दो विश्वसनीय जमानत ए निष्कासित करने के लिए क्यों नष्ट किया जाए ?
विदित हो कि 4 मार्च 2017 को जीटी रोड माधोसिंह में स्थित स्टेट बैंक ग्राहक सेवा केंद्र के संचालक विमलेंदु यादव से समसुद्दीन उर्फ बड़े द्वारा मारपीट की जा रही थी जिसको छुड़ाने स्टेट बैंक त्रिलोकपुर ग्राहक सेवा केन्द्र का संचालक सौरभ मिश्रा पहुंचता है लेकिन किसी के ललकारने पर सौरभ मिश्रा के सर पर वार किया गया और रेलिंग के नीचे फेंक दिया था। जिससे सौरभ मिश्रा के गर्दन मे चोट आई हड्डी टूट गई व नसे कट गयी वह लहुलुहान बेहोश होकर गिर गया, आनन-फानन में अगल बगल के लोगों की मदद से गोपीगंज स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया जहां पर उनके द्वारा जवाब दे दिया गया बीएचयू ट्रामा सेंटर के लिए रेफर किया गया। जहां ट्रामा सेंटर ने भी जवाब देते हुए एम्स नई दिल्ली के लिए भेजा। एम्स नई दिल्ली में ऑपरेशन व इलाज किया गया।
31 मार्च 2017 को सौरभ को डिस्चार्ज किया पर आज तक वह बोल नहीं सकता है और इसके बाद सौरभ का सारा शरीर सुन्न पड़ा है। 4 मार्च 2017 से लेकर आज तक वह आदमी अपने हाथ से पानी तक नहीं पी पाया उठना-बैठना दूर की बात। बेड पर पड़ा हैं और उसका बीएचयू में पुनः ऑपरेशन के लिए बोला गया था पर बीएचयू के वाराणसी में बोन ट्रांसलेशन हॉस्पिटल का उद्घाटन न होने के कारण ऑपरेशन नहीं हुआ जिसको देखते हुए उसके इलाज के लिए दो महीने से मुंबई में नेरोजेन स्पाईल हॉस्पिटल मे आपरेशन से स्टीम शेल लगाया गया व इलाज़ चल रहा है।
उसके ऊपर उपजिलाअधिकारी औराई द्वारा 110 में नोटिस जारी किया है। उपजिलाधिकारी के यहां से आये नोटिस मे साफ लिखा है कि 18 सितम्बर 2018 को थानाध्यक्ष औराई के आख्या के आधार पर यह नोटिस है। अब समझ मे नही आता कि औराई थानाध्यक्ष ने कैसे जांच की और अपनी आख्या सौपी जिसमे एक लाचार व विवश रोगी को अभियुक्त बनाकर नोटिस भेजवाने मे सहायक सिद्ध हुये। आखिर आख्या लगाते समय थानाध्यक्ष ने क्यो नही सौरभ की वर्तमान स्थिति का ध्यान दिया? किन्तु अब थानाध्यक्ष औराई ने बताया कि बीमारी की जानकारी नही थी जब जानकारी हुई तो उपजिलाधिकारी औराई को इस संबंध मे लिखित सूचना दे दी गई है।