Home लोकसभा चुनाव २०१९ अब ऐसे नर डर चुके,जो थे लूटत खात।

अब ऐसे नर डर चुके,जो थे लूटत खात।

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अब ऐसे नर डर चुके,जो थे लूटत खात।

चौकीदार है जग रहा,खट्टे कर दिया दांत।।

माल लूट का, लुट रहा,सपना आता रोज।

सी बी आई जुट गई,हरदिन करती खोज।।

चैन न आता दिवस भर,नींद न आती रात।

मोदी फूटी आंख भी,किसी को नहीं सुहात।।

किसी को नहीं सुहात,बना गठबंधन ढासू।

जीवन भर के शत्रु का भी पोछें आंसू।।

कहें “मधुर”कविराय,वही दिन फिर आएगा।

वस्त्रहरण का खेल,पुनः खेला जाएगा।।

 

सदाशिव चतुर्वेदी “मधुर”

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