Home अवर्गीकृत नृतांगना लघुकथा- अलका पाण्डेय

नृतांगना लघुकथा- अलका पाण्डेय

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दामनी स्कूल से रोते हुये आती है और पैर पटकते हुये माँ को कहती है माँ हमारे स्कूल मे सालाना उत्सव हो रहा है में ने नृत्य में भाग लिया है आजन्म आज बहुत नृत्य किया पैर दुख रहे है , आप मेरा नृत्य देखोगी।

माँ बोली नही चुप कर खाना खाओ और पढाई करो यह नृत्य मुझे पंसद नही है लडकीयो को नाचना अच्छा नही है। सारा दिन हिरणी की तरह उछलती कूदती रहती हो एक मिनट भी आराम न करती हो न करने देती हो ! न ढंग से खाती-पीती हो आज भी टीफिन का खाना बराबर नही खाया है। बस नाचने को कह दो हिरणी की तरह नाचती रहेगी कभी यहाँ कभी वहाँ,
माँ की नाराज़गी भरी बाते सुन कर दामनी ने भोला सा मूंह बनाया और माँ की गोद में बैठ गई श्वारी माँ, दामनी का चेहरा देख माँ को हँसी आ गई, वे दामनी से बोली चलो खाना खा लो फिर नानी के पास जाकर होम वर्क करलो। क्या नाना नानी आयें है वह खुशी से नाचने लगी।

दामनी नाना, नानी को देख ताली बचाकर उछलने लगी, और अपने खिलौने। किताबें दोस्तों के क़िस्से बताने लगी, बीच बीच में ताली बजा कर झूम लेती थी बहुत देर तक , खेलती रही फिर बहुत डाँस किया सबने मना किया दामनी बस करो पैर दर्द करेगे पर वह कहाँ मानने वाली थी एक के बाद एक उसकी सहेली बिंदिया शाम को आ गई फिर क्या था दोनो नाना नानी को दर्शक बना डाँस करती रही और बोली माँ अभी मामू आयेंगे न उनको भी दिखाऊँगी मेरा डाँस नही बेटा बहुत थक गई हो अपनी पढ़ाई की किताबे दिखाओ और उनसे कुछ पढ लो यह डाँस अब बंद , नही मम्मा मे दिखाऊँगी नही बेटा मेरी रानी मेरी लाडो मां का कहना मानती है न माँ ने प्यारे उसे गोद में भर कर कहाँ, माँ के प्यार के आगे दामनी हार गई व माँ की बात मान ली,

थोड़ी देर में मामू आये और आवाज़ लगाई कहा है मेरी राजकुमारी आज चहक नही रही है अरे बिटिया आओ अपना डाँस दिखाओ अंदर से दामनी मूंह फुलाये हुये बहार आई मम्मा ने मना किया है में डाँस नही दिखाऊँगी बडी मायूसी से जवाब दिया मामू तो क्या हुआ हम कार्टून देँखेगे पापकार्न खायेगे,  नही मुझे नही देखना न पापकार्न ख़ाना है और वह रुठ कर अंदर जाने लगी तभी नानी ने गाना बजाया और बोली नाच बेटी देखती हूँ तेरी माँ कैसे मना करती है मेरी लाड़ों को और दामनी खुश हो नाचने लगी तभी नानी ने इशारा किया की कोई कुछ नही बोलेगा और मूहं दबा कर हँसने लगी तब दामनी की माँ बोली हाँ हाँ आप मेरी बेटी को बिगाड़ दो सारा दिन डाँस करना बुरा है ! नानी ने ज़ोर से कहाँ खामोश यह लड़की एक दिन बहुत बडी नृतागना बनेगी देश विदेश में इसका नाम होगा मैने इसकी ललक डाँस के प्रति देखी है इसकी उड़ान को रोको मत इसके क़दमों को थिरकने दो थिरकन में ही इसकी जान बसती है, यही लगन इसे कामयाबी दिलायेगी ! यह जन्मजात कलाकार है इसे तराशने की जरुरत है !

हाँ नानी माँ को समझा दो मुझे रोके न दामनी झट बोल पड़ी
तब नानी ने अपनी बेटी को बहार लाकर समझाया बेटी है तो क्या हुआ ,तुम उसके पर काटोगी नही , में ऐसा नही करने दूँगी, दामनी जरुर नृत्य करेंगी, हाँ माँ आप ठीक कह रही हो में नाहक उसे मना करतीथी ! आपने मेरी आंखे खोल दी मेरी बेटी की इच्छा जरुर पूरी करुगी। माँ ने आवाज़ लगाई दामनी तैयार रहना शाम को तुम्हे डाँस क्लास चलना है मेरे साथ, दामनी सच माँ – हाँ बेटे और स्कूल में भी सालाना उत्सव में नृत्य करना आज के बाद में तुम्हे नृत्य करने से नही रोकुगीं मुझे समझ आ गई है। तेरा आकाश तुझे मिलना ही चाहिये – दामनी माँ से लिपट गई माँ तुम बहुत प्यारी हो दोनो की आंखो में खुशी के आँसु थे

अलका पाण्डेय – अग्निशिखा
9920899214

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