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भदोही के भंडा गांव में तीन माह से डूबी फसलों को देखने नही पहुंचे अधिकारी

फसल की बर्बादी से किसानों में रोष।

भदोही। जिले में किसानों को कृषि विभाग के तरफ से कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है लेकिन जिले में कुछ किसान ऐसे भी है जिनकी स्थिति पर कृषि विभाग मौन साधे हुए है। मानों उन किसानों की आवाज को कोई सुनने वाला नही है। मामला भदोही और प्रयागराज सीमा पर स्थित गांव भंडा जो भदोही तहसील और अभोली ब्लाक के अन्तर्गत पडता है। यहां के किसानों की शिकायत है कि भंडा गांव में कोई भी अधिकारी यहां की हकीकत देखने नही आया केवल लोग कागजों पर ही खानापुर्ति में लगे है।

मालूम हो कि सितम्बर माह में हुई लगातार बारिश से पुरे जिले का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था। जिसमें सबसे ज्यादा फसलों को नुकसान हुआ। और शासन के तरफ से सभी किसानों के फसलों के लिए मुआवजा देने की बात कही गई लेकिन आज तक किसानो को कोई मुआवजा नही मिला। भंडा गांव के किसान रमाशंकर पाठक एक बडे किसान है जो सब्जी व अनाज की खेती करते है। उनकी भी फसल बारिश की वजह से बर्बाद हो गई। लेकिन आज तक कोई जिम्मेदार अधिकारी भंडा गांव का दौरा नही किया। गांव के विवेक पाठक ने बताया कि जिले के अपर जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी भदोही और जिला कृषि अधिकारी को भी गांव की फसलों की समस्या के बारे में बताया गया लेकिन कोई कार्यवाही न हुई न किसी अधिकारी ने भंडा गांव पहुंचकर किसानों कि स्थिति को जानने का प्रयास किया। विवेक ने बताया कि फसलों का बीमा भी कराने पर लाभ नही मिला।

विवेक पाठक, किसान

गांव में कुछ किसान ऐसे भी है जो ऋण लेकर खेती किए है जब फसल पानी से डूबकर बर्बाद हो गई तो करें तो क्या करे? भंडा गांव के किसानों की मांग है कि जिले के अधिकारी गांव में आकर किसानों की फसल और दशा को देखे और उचित मुआवजा दिलाये। भंडा गांव में रमाशंकर पाठक, परमेन्द्र बहादुर सिंह, भानू प्रताप सिंह, यज्ञ नारायण तिवारी, सूर्य नारायण, अशोक पाठक, तेज बहादुर व रंगबहादुर समेत कई किसानों की फसले डूबने से काफी नुकसान हुआ और गेहूं की बुआई करने में कई लोगों को समस्या का सामना करना पड रहा है। भंडा गांव के फसलों की बर्बादी ऐसी हुई है कि किसानों का परेशान होना लाजमी है। एक तो छुट्टा पशुओ की समस्या दुसरा मौसम की मार और तीसरी बात की कृषि विभाग व प्रशासन के तरफ से किसानों की सुधि न लेना प्रमुख है। यदि सच में किसानों की आय को दुगुनी करने की मंशा है तो प्रशासन के लोगों को शासन के अनुरूप कार्य करके किसानों की हर स्थिति की जानकारी रखकर उनकी समस्या के निवारण के लिए आगे रहना होगा। नही तो केवल कागजी खानापुर्ति करने से किसानो की आय दुगुनी केवल छलावा मात्र रह जायेगी। और किसान अपनी दशा पर ऐसे ही आंसू बहाता रहेगा।

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