भदोही। देश में आज भी ऐसे लोग है जो सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से काफी दूर है। क्योकि सरकारी कर्मचारी व अधिकारी जमीनी स्तर की अपेक्षा कागजी स्तर पर काम करने के आदी हो गये है। और बेचारे नेता है कि उनको सही जानकारी ही नही मिल पाती। सरकार तो गरीबों के लिए लगातार कल्याणकारी योजनाएं लाती है लेकिन लापरवाही व भ्रष्टाचार की वजह से सही व्यक्ति भी योजना से छूट जाता है। और जो प्रधान या अधिकारियों के मनमाफिक कार्य करता है उसे भी योजनाओं का लाभ मिल जाता है। जो शासन के मंशा के खिलाफ है लेकिन कोई कर क्या पायेगा? होगा वही जो नेता और अधिकारी चाहेंगे। कोई विरोध करेगा तो उसे किसी मामले में फंसा कर बोलती बंद करा दी जायेगी या उसके खिलाफ जांच बैठा दी जायेगी। हालांकि यह सब तो आज के वर्तमान परिदृश्य है।
एक दिल को झकझोर देने वाला मामला भदोही जिले के ज्ञानपुर तहसील के अन्तर्गत कुसौली गांव में देखने को मिला जहां पर कल्लू राय सत्तर वर्षीय वृद्ध पिता अपने जवान बेटे बाबूलाल राय की सेवा कर रहा है। लेकिन शासन-प्रशासन के लोग इस मामले से बेखबर है। इसकी वजह यह है कि वृद्ध पिता अपने बीमार बेटे को छोड़कर कही जा नही सकता है। जिसकी वजह से इसकी जानकारी अधिकारियों को नही है। और बाबूलाल भूखमरी व गरीबी की जिन्दगी जी रहा है। कल्लूराम ने बताया कि प्रधान कडेदीन कभी कभार आते है। आवास के लिए कहते है कि आयेगा तो मिलेगा। वृद्धा पेंशन मिलती है और राशन की दुकान से 35 किलो राशन मिलता है। बताया कि कुछ लोग मेरे सडक की जमीन पर कब्जा करना चाहते है जिसके डर से मै यही झोपडी में अपने बीमार बेटे के साथ डेढ साल से रहता हूं। लेकिन गरीब की कोई सुनने वाला नही है। बेटे की दवा के लिए कही दर्द की दवा की व्यवस्था करता हूं तो देता हूं। आयुष्मान कार्ड के बारे में बताया कि बहुत लोगों का है परन्तु मुझे नही मिला है। अपनी व्यथा बताते हुए वृद्ध कल्लू राय रोकर कहते है कि भगवान का ही सहारा है।
बीमारी से जूझता युवक बाबूलाल ने रोते हुए बताया कि ग्राम प्रधान कडेदीन राय आते है तो केवल देखकर चले जाते है। कही ले जाने या किसी से सहयोग या इलाज के बारे में नही कहते है। मै लोगों से रूपया दो रूपया मांगकर किसी तरह दवा लेता हूं। कोटेदार हूबलाल 85 रूपये में 35 किलो राशन देते है। मुझे घर वाले बाहर निकाल दिए है। भाई मुन्नालाल कोई सहायता नही करता बल्कि मेरे मर जाने की बात करता है। बाबूलाल ने बताया कि मेरे पिताजी ही मेरी सेवा व देखभाल करते है। मुझे किसी नेता या अधिकारी के तरफ से न सहयोग न आश्वासन मिला है। बाबूलाल ने रोते हुए कहा कि कहां बेटे को बाप की सेवा करनी चाहिए जबकि मै अभागा अपने बाप की सेवा नही कर पा रहा हूं और डेढ वर्ष से वृद्ध बाप मेरी सेवा कर रहा है। बीमार बाबूलाल और उनके पिता कल्लू राय के बातों को सुनकर व दशा को देखकर पत्थर दिल भी पिघल जायेगा। हालांकि इस खबर की जानकारी जब लोगों को होगी तो लोग बेशक इस गरीब पिता-पुत्र की यथाशक्ति सहायता के लिए आगे आयेंगे। यही सच्ची मानवता है।