अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कवि, लेखक, समाजसेवी, म्युनिसिपल मजदूर यूनियन मुंबई उपाध्यक्ष मंगेश पेडामकर ने संपूर्ण भारत की महिलाओं को हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाईयाँ दी और अपने लेखनी के माध्यम से कुछ यूं कहते हैं-
चिंगारी न समझ इसे इक जलजला हें नारी।
परिवार के लिए अंगारों पर चली हे नारी।
कोशिश कर के देख लो मिटा न पाओगे इसे।
हर सफल पुरुषों के पीछे खड़ी हे नारी।
राखिके धगोमे बेहन बनकर रक्षाकवच हे नारी।
भाइयो के खुशीके लिए माँ बाप से भी लड़ी हे नारी।
आज तो पढ़े लिखों से भरा पड़ा है ये समाज।
वक़्त वो भी था जब पठाई के लिए, लडीथी सावित्रीबाई।
ये महाकृपालु है, उद्धार सबका करती है।
भारत के मुकुटमें हीरेसी इंदिरा,जडी हें नारी।
बनके मशाल हाथ में, राहों को रोशन कर रही नारी।
ना समझ पुरुष होश में आजा इसी नारी से चलती है सृष्टि सारी।
आज गर्भ में ही इसका अंत कर रहा मूर्ख पुरुष।
जब के, मौतसे लढ़कर हमें जिंदगी देती हैं नारी।
वक़्त के साथ अब सबकी समझ में आ रहा है।
नारी नाहो तो जन्नत भी वीरान से भरी हें जन्नत भी वीरान से भरी हें।