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एक बार फिर उतरभारतीय बुद्धीजीवी बंधुओ की हुई किरकिरी,निशाना बना गायक वादक वर्ग

कलयाण:कल्याण पूर्व में उत्तरभारतीयो और हिन्दीभाषियो की एकजुटता के लिहाज से लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरे हुए देवेन्द्र सिंह के अचानक अपना नाम वापस ले लिए जिसके कारण हिन्दी और भोजपुरी भाषियो की नाराजगी थमी भी नही थी कि आपसी भाईचारा संबंधो को संबलता प्रदान कराने हेतु कराया गया सुंदरकांड पाठ का प्रतियोगिता कार्यक्रम ने बहुत बङे बङे मंडलो के गायक और वादकगणो के दिलों में एक और चुभन ला दिया।

बता दें कि २१ अप्रैल रविवार को सुबह तकरीबन ८ बजे से सुंदरकांड पाठ का सुरीले अंदाज में गायन वादन की प्रतियोगिता विठ्ठलवाङी पूर्व स्टेशन के नजदीक के डी काँलेज के बगल राय हेरिटेज के सामने रखी गयी थी।जिसमें दो तीन दर्जनो के प्रतिभागियो ने अपनी बेहतरीन सुर, लय और राग आदि की प्रस्तुतीकरण दी। परंतु यह क्या ? लगातार आठ दस घंटे इंतजार के बाद मात्र दस या बीस मिनट की सेवांए देने के बाद ही मंच खाली कर देते रहने का अनुरोध जले पर छिङके नमक के समान लग रहा था।

बतातें चलें कि वार्ड क्रमांक १०३ के नगरसेवक मनोज राय की टीम सदस्य एवं अखिल भारतीय रामचरितमानस प्रचार समिति के पहल पर किए गये इस कार्यक्रम में जिस तरह मुंबई एवं उससे सटे उपनगरो कल्याण, विठ्ठलवाङी, आसनगांव, टिटवाला के अलावा नालासोपारा, विरार तथा अंबरनाथ, पुणे सहित मुंबई के घाटकोपर और कर्नाकबंदर तक के गायक वादक जिस तरह से अपनी उपस्थिती दर्ज कराए और उन सबने अपनी सेवाँए दी उस तरह से उनलोगो को सम्मान नही दिया गया जिन सबका उनलोगो को मलाल भी है।

एक सिद्धांत के अनुसार भगवान राम का पाठ,भजन, गायन आदि करनेवाले अपनेआप को हनुमान जी का भक्त मानते हुए अपने को बुद्धीजीवी भी मानते है जो भाव के भूखे रहते है परंतु उस प्रतियोगिता के कार्यक्रम में जलपान, चाय और भोजन की ब्यवस्था सबकुछ उपलब्ध रहने के बावजूद भी परोसनेवालो में उस तरह भाव की कमी भी नजर आयी जिस भाव से ऐसा कार्यक्रम किया कराया जाता है और बाकी की कसर हर मंडल को उचित सम्मान न मिलने की कसर पूरी कर दी।

मिली जानकारी के अनुसार इस आयोजन में तीन कटेगिरी के पुरस्कार का वितरण भी हुआ लेकिन बाकी के मंडलो को भी १००१ रू की सांत्वाना पुरस्कार आदि के रुप में जो कि विशेषतः नगरसेवक महोदय ने अपने तरफ से सभी आगंतुक मंडल टीमो को देने का विचार किए थे वह भी खबर लिखने तक सभी मंडलो को नही मिल पायी थी।

एक कहावत कहा जाता है कि ‘अंत भला तो सब भला ‘
परंतु जिस तरह इस प्रतियोगिता कार्यक्रम की शुरुवात नियत तारीख को नियत समय से शुरू हुई थी दोपहर होते होते इस आयोजन का जबरदस्त प्रतिसाद मिलने लगा था और शाम के वक्त तो यह कार्यक्रम परवान ही चढ गया था परंतु आचार संहिता लागू होने के ध्यानार्थ इस कार्यक्रम को जल्दी समेटना था जिसके मद्देनजर तीनो कटेगरी के पुरस्कार वितरण भी कर दिया गया लेकिन अपने आदतन जुटी भीङ फोटो खिंचाने एवं सेल्फी लेने के प्रयास में मंच खाली नही कर पा रहे थे जिस कारण मंच नियंत्रक ने मंच को लावारिस हाल में छोङ दिया

अंततः मंच बिना नाथ पगहा का बन गया जिस कारण भी मानस प्रेमियो में असंतोष व्याप्त है। इसलिए अगली बार से ऐसे आयोजनो को योजनानुसार क्रियान्वित करने की जरूरत है ताकि इतना अधिक खर्च करने के बाद भी अपने समाज के लोगो में कोपभाजन का ख्याल ही महसूस न हो।

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