रिपोर्ट : विनय शर्मा दीप
ठाणे : भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे (बहुभाषी काव्य गोष्ठी) एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद महाराष्ट्र के तत्वावधान में “एक साम अटल जी के नाम” श्रद्धांजलि सभा एवं काव्यगोष्ठी का आयोजन मुन्ना विष्ट नगरसेवक कार्यालय सिडको ठाणे (पश्चिम) में दिनांक 25 अगस्त शनिवार सायं रखा गया।जिसकी अध्यक्षता स्वामी विदेह महराज जी ने की,मुख्य-अतिथि श्री लाल बहादुर यादव “कमल” जी मंच की शोभा बढ़ा रहे थे।मंच का संचालन संस्था सचिव,गजलकार श्री एन बी सिंह नादान जी ने बड़ी खूबसूरती से किया।
काव्य गोष्ठी के प्रथम सत्र में पूर्व प्रधानमंत्री,महान साहित्यकार कवि हृदय सम्राट स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की आत्मा के शांति हेतु श्रद्धांजलि सभा रखी गयी एवं उनके जीवन पर पूर्व प्रधानाचार्य श्री भुवनेन्द्र सिंह विष्ट एवं पूर्व प्रधानाचार्य श्री टी आर खुराना जी ने राजनैतिक एवं साहित्य सफर पर बखूबी प्रकाश डाला ।
गोष्ठी के दुसरे सत्र में कविगोष्ठी माॅ सरस्वती की प्रार्थना कवियत्री श्रीमती सुधा बहुखंडी एवं श्रीमती पूनम खत्री के द्वारा प्रारंभ कर किया गया। संपूर्ण गोष्ठी कवियों,गजलकारों एवं गीतकारों ने अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम कर दी । क्रमशः सभी साहित्यकार इस प्रकार-
श्री आनंद मिश्रा-
क्या खोया क्या पाया जग में,
अपने मन से कुछ बोले ।
श्री विनय शर्मा दीप-
वेग ऐसी वायु की चली हिली वसुंधरा,
तृण-तृण,डार-पात, रोम-रोम कांप गये।
सरिता की धार व वीणा झनकार रूकी,
गगन तिरंगा झुका,आसमान भांप गये ।।
श्री हरिशंकर पांडे-
हो गये वो अमर हर सदी के लिए।
अब दिलों में हैं जीवित सभी के लिए ।।
श्री अनिल शर्मा-
जन्म-मरण की इस दुनियां में,
कोई आता है कोई जाता है ।
श्री कमला प्रसाद शर्मा-
मैं तो अब चल दिया,
बाकी बनाने किस्मत।
श्री टी आर खुराना-
जिंदगी के थकते दौर में,
मैं खुश हूँ संतुष्ट हूँ।
श्री शिवशंकर मिश्र-
इस जग को अनंत के लिए अलविदा।
श्री हरीश शर्मा “यमदूत ” ने हास्य-व्यंग्य से श्रोताओं को आनंदित कर दिया।
श्री ओमप्रकाश सिंह-
बिना तुम्हारे स्वप्न दीप जलाऊं कैसे।
है वो खामोश तो,गीत सुनाऊँ कैसे। ।
श्री अनिल कुमार राही-
अटल थे वे अटल था नाम जिसका।
तेरे होने न होने का,असर देखा अकेले में,
सब तन्हा कहीं हैं,यूँ मिला दिन भी अकेले में ।।
श्री उमेश मिश्रा-
करें प्रार्थना उनके शतगति की,
चलो उनके गीतों को हम मिलकर गाएँ।
श्री नंदलाल क्षितिज-
भिष्म पितामह थे अटल,
अद्भुत और अथाह ।।
श्री उमाकांत वर्मा-
जब चीता पर मैं जलूंगा,
गीत मेरे मौन होंगे ।।
डाक्टर वफ़ा सुल्तानपुरी-
भरत का रत्न रहबर नहीं रहा,
अब कौन संभालेगा ऐ वफ़ा ।।
रोशन किया है देश का,तुमने जहाँ में नाम ।
अटल जी तुम्हे सलाम,अटल जी तुम्हे सलाम। ।
श्री राम स्वरूप साहू-
राजनीति के उच्च शिखर,
पुरू कोरस से रहे प्रबल ।
उनके निर्णय सदा अटल,
कवियों में भी रहे प्रखर ।।
श्रीमती पूनम खत्री-
जुगनुओं के पीछे भागना,
तितलियाँ कांच में जमा करना ।
बादलों मे हांथी घोड़े ऊंट बनाना————-
श्री संजय द्विवेदी-
आओ फिर से दिया जलाएं,
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का देह निचोड़े-
बुझी हुई बाती सुलगाएं ।।
श्री पवन तिवारी-
दिन गुजर ही गया,रात होने को है।
आप से होगा ना,आप घर जाइये ।।
श्री राजीव मिश्रा-
लखनऊ हम पर फिदा है,हम फिदाए लखनऊ।
आसमां में ताव क्या,हमसे छुड़ाये लखनऊ ।।
श्री त्रिलोचन सिंह अरोरा-
एक जिंदगी मौत की,गोंद में सो गयी ।
जिसकी अमानत थी,उसी की हो गयी ।।
श्री भुवनेन्द्र सिंह विष्ट-
चलता रहा हूँ,चलता रहूँगा।
साधना का दीप हूँ,जलता रहूँगा ।।
श्री लाल बहादुर यादव “कमल”-
कहाँ वह छूट गया बचपन,
बहना का भैया था प्यारा,माता का ललना दुलारा ।।
श्री उमेश शुक्ल “विदेह” –
अटल था अटल है अटल ही रहेगा सदा ।
अटल बिहारी मर के भी,अटल हो गये ।।
इसी प्रकार श्री कुलदीप सिंह दीप,श्री सिंह सभी ने जीवन पर आधारित रचनाओं को पढकर लोगों को आह्लादित कर दिया। श्रोताओं के साथ पत्रकार मुन्ना यादव मयंक जी का सहयोग एवं श्री कन्हैयालाल विश्वकर्मा (भाजपा सचिव कलवा प्रभाग) का अमूल्य समय रहा ।
अंत में संस्था के सचिव श्री एन बी सिंह नादान जी ने आये हुए सभी कवियों पत्रकारों,गीतकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और काव्यसंध्या को विराम दिया ।