मुंबई
विश्व मैत्री मंच की महाराष्ट्र इकाई द्वारा महिला रचनाकारों का आनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह आयोजन गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में रखा गया । महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्षा आभा दवे द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी में बीस रचनाकारों ने भाग लिया।
आदरणीया संतोष श्रीवास्तव की अध्यक्षताा में, जो विश्व मैत्री मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुई ।महाराष्ट्र विश्व मैत्री मंच की इकाई अध्यक्ष आभा दवे के स्वागत भाषण के बाद सभी रचनाकारों ने अपनी एक से बढ़कर एक स्वरचित रचनाएं देेेेशभक्ति एवं वीर सैनिकों को केंद्र में रखकर प्रस्तुत की । सभी ने अपनी रचनाओं में देशभक्ति एवं सैनिकों की वीरता का उल्लेख बखूबी किया । कार्यक्रम अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव जी ने सभी की रचनाओं को सराहा और सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए संविधान की रूपरेखा किस तरह बनी और संविधान कब लागू हुआ इसकी विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए खेद भी प्रकट किया “जिन उद्देश्यों को लेकर संविधान बनाया गया आज उसका उल्लंघन किया जा रहा है जो बेहद ही चिंताजनक है। संतोष जी ने अपनी चंद पंक्तियों से वीर सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट किया-
जिस्म में तू जान तू ही है
प्रार्थनाओं में तू अजान तू ही है
तू है तो हम है हिंदुस्तानी
मेरी आन ,बान, शान तू ही है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रत्ना झा जी ने सभी की रचनाओं का बेहतरीन आकलन करते हुए एवं बधाई देते हुए कहा कि -“देशप्रेम और सैनिकों के बलिदानों से ओत-प्रोत रचनाएं दिलों में देशभक्ति का भाव जगाती हैं, एक जोश पैदा करती हैं। यही जोश हमारे सैनिकों में वीरता का संचार करता है उनका उत्साह बढ़ाता है। ”
गणतंत्र दिवस की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी में ऊषा साहू,संतोष श्रीवास्तव, आभा दवे , नीरजा ठाकुर, मनवीन कौर, रत्ना झा ,माया बदेका, सत्यवती मौर्य, रजिया रागनी, मृदुला मिश्रा, डॉ प्रभा शर्मा , शिल्पा सोनटक्के , सत्यवती मौर्य , रानी मोटवानी , कल्पना श्रीवास्तव, उर्मिल जैन आदि ने काव्य पाठ किया ।
रचनाकारों की चंद पंक्तियाँ
आभा दवे-
भारत की भूमि को नमन हमारा
इस पर लहराये तिरंगा प्यारा
शहीदों की धरोहर , सैनिकों का अभिमान
गंगा की पावन नदी देश का स्वाभिमान ।
उषा साहू-
विश्व गुरु है देश हमारा, पूजा नमाज, गुरबाणी ।
हम शांति के पैगम्बर है, परोपकार हमारी वाणी ।
धरती की क्या बात करें दिए है बड़े -बड़े बलवान
प्राणों की बलि चढ़ा कर,रखा है देश का स्वाभिमान।
शिल्पा सोनटक्के-
वो दे चुके कुर्बानियां,
अब हमारी बारी है
हो सके तो अपनी नियत में
बदलाव लाएँ, सभी धर्मों को अपनाएँ।
रजिया रागिनी-
मुझे अपनी जड़ों से प्यार है,
अपने मुल्क से सरोकार है
हों चाहे कितनी ही दुशवारियां ,
मेरा देश महान था और महान है।
सत्यवती मौर्य-
विरह वेदना हिय में धारे
पिय की सुधि में नई – नवेली
दूर कहीं शहनाई सुन कर
कुम्हलाए आनन पर उसके
त्वरित दामिनी दमकी ।
प्रभा शर्मा-
गणतंत्र दिवस पर आज तिरंगा
लहर लहर लहराए
अमर रहे गणतंत्र हमारा
बच्चा -बच्चा गाए ।
मृदुला मिश्रा-
हम हर पल सहमें रहते हैं,मौत कहीं ना आ जाये।
सैनिकों का फिर क्या कहना,वो कफ़न लपेटे चलते हैं।
मनवीन कौर-
आओ दिखलाऊँ तुम्हें , मैं दर्पण मेरे देश का,
आनंदित ,प्रफुल्लित मन मेरे देश का ।
रत्नों सा, दीपों सा , गंगा सा पावक,
झरनों सा शीतल , दर्पण मेरे देश का।
उर्मिल जैन-
हरेक कंधे पे रखी नींव देश की
अब तुम चलते समय राहों को मेरी
जगमगा देना
मेरी अजन्मी पहचान के लिए
मैं न भी रहूँ दीया मिट्टी का एक
चौखट पर अपनी जला लेना।
उषा सक्सेना-
शहीदों की शहादत ही तो
इक दिन रंग लाती है
बहाकर वह लहू अपना
जमाने को झुकाती है ।
कल्पना श्रीवास्तव-
मन की डोर, वतन की सीमा
जोड़ स्वयं जुड़ जाती हूँ
है कर्तव्य सदा सर्वोपरि
अंतस को समझाती हूँ।
नीरजा ठाकुर-
जन मन गण गा कर, क्या देश प्रेम पूरा हुआ।
इतने से ही क्या देश के प्रति कर्तव्य पूरा हुआ।
एक सैनिक जो बर्फीली हवाओं में परअपना कर्तव्य निभा रहा
कुछ इंच जमीन के लिये सीने पे गोली खा रहा।
कार्यक्रम का संचालन रानी मोटवानी,दीप प्रज्वलन, प्रभा शर्मा , सरस्वती वंदना माया बदेका एवं आभार व्यक्त सत्यवती मौर्य ने किया।अंत में आभा दवे ने सभी कवियत्रियों का आभार व्यक्त करते हुए राष्ट्रगान के साथ काव्यसंध्या का समापन किया।