मुंबई। मुंबई में लाॅकडाऊन के चलते मुंबई मनपा शिक्षण विभाग के कर्मठ शिक्षणाधिकारी सम्मा. महेश पालकर द्वारा 21 मार्च को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस का आयोजन लाइव किया गया था। जिसमें उन्होंने इस संकट की परिस्थिति में भी विद्यार्थियों एवं पालकों से किस तरह संपर्क बनाए रखना तथा छात्रों के शिक्षण को सोशल मीडिया की सहायता से किस तरह निरंतर चालू रखना इसकी जानकारी दी। उनके साथ प्रोफेसर एवं टेक्निकल असिस्टेंट मधुकर भोसले जीने विविध ऐप के माध्यम से विद्यार्थियों को अध्ययन अनुभव देने की बात बताई। सम्मानीय शिक्षणाधिकारी के वीडियो कॉन्फ्रेंस को ध्यान में रखते हुए मुंबई मनपा. कामराज नगर हिंदी शाला, घाटकोपर की शिक्षिका श्रीमती मंजू सराठे द्वारा अपने वर्ग के छात्रों का एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘work from home ‘ इस नाम से तैयार किया गया।
इस ऑनलाइन उपक्रम में उनके कक्षा ६/ब के ४८ छात्रों में से २३ छात्र उनके संपर्क में है। व्हाट्सएप के माध्यम से वे अपने बच्चों को विषय से संबंधित गृहकार्य देती हैं। उनके हस्ताक्षर में सुधार हेतु प्रतिदिन हिंदी, मराठी व इंग्लिश विषय का सुलेख देती है। जिन बच्चों की चित्रकला अच्छी है उन्हें विविध स्पर्धा में भाग लेने के लिए वे प्रोत्साहित करती हैं उदा. m-indicator द्वारा ३१ मार्च तक आयोजित की गई चित्रकला स्पर्धा में भाग लेना। कभी-कभी अवांतर वाचन हेतु वे अपने छात्रों को कोई भी एक कहानी पढ़नें के बाद सुनाने के लिए कहती हैं। वे अपने छात्रों को वीडियो निर्मिती संबंधी मार्गदर्शन भी करती हैं। कुछ छात्रों ने वीडियो बनाकर भी भेजे हैं। वीडियो की अच्छी गुणवत्ता के लिए वे छात्रों को मार्गदर्शन कर रही हैं। जिन छात्रों के पास स्मार्टफोन नहीं है उनसे वे प्रत्यक्ष फोन द्वारा संपर्क स्थापित करती है और उन्हें भी प्रवाह में रखती हैं। प्रतिदिन में 8 से 10 छात्रों को फोन करके उनके कार्य की जानकारी लेती है। जिनके पास स्मार्टफोन है उन्हें वीडियो कॉलिंग करके प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करती है। शिक्षिका विषय से संबंधित प्रश्नपत्रिका बनाकर बच्चों को व्हाट्सएप पर भेजती हैऔर छात्र उसे हल करके उसका फोटो भेजते हैं। समय-समय पर उनका मार्गदर्शन शिक्षिका द्वारा किया जाता है।
इस तरह से ऑनलाइन उपक्रम द्वारा छात्रों का अध्ययन अध्यापन निरंतर जारी है और उनके समय का सदुपयोग भी हो रहा है। हम शाला में ना होते हुए भी अपने टीचर के संपर्क में है इसकी छात्रों को बहुत ही खुशी है। इस संकट की घड़ी में उनसे बात करने पर उन्हें बहुत ही अपनापन -सा महसूस होता है। इससे शिक्षक -विद्यार्थी तथा शिक्षक -पालक के बीच की दूरी कम हो गई है। पालक भी अपने बच्चों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं और समय-समय पर उन्हें मार्गदर्शन कर रहे हैं। श्रीमती सराठे विविध विषयों पर वीडियो बनाकर अपने बच्चों तक पहुंचा रही हैं। श्रीमती सराठे के उत्तम शैक्षणिक, साहित्यिक एवं सामाजिक कार्य हेतु हाल ही में उन्हें भारतरत्न डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम नॅशनल अवार्ड तथाआंतरराष्ट्रीय नारीरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वे शिक्षण विभाग के प्रति समर्पित शिक्षिका है। वे अपने कर्म को ही पूजा मानती हैं ऐसा उन्होंने बताया।