मोदी जी ने भारतीय राजनीति का व्याकरण और राजनीतिशास्त्र के मानक ही बदल दिए। इस चुनाव में मोदी के वोटों के अश्वमेध के अश्व पर सवार होकर ऐसे लोग भी संसद में पहुँच गए जो एमएलए का चुनाव भी नहीं जीत सकते थे। ‘मोदी नाम केवलम’ का जादू सर चढ़कर बोला और विपक्ष के महारथियों के विजय रथ को चकनाचूर कर दिया। मोदी का नाम लेकर अनेक निकम्मे सांसद भी विजय पथ पर दौड़ते देखे गए। जनता ने उम्मीदवारों को वोट न देकर मोदी को वोट दिया। उम्मीदवारों के चाल, चरित्र और चेहरों से जनता को कोई मतलब नहीं था, उसने मोदी के चरित्र और कार्यों को प्रामाणिक माना और विपक्षियों के चरित्र को संदेहास्पद। इसलिए मोदी की झोली को अपने आशीर्वाद से भर दिया।
लोकसभा चुनाव में मोदी की ऐतिहासिक विजय से एक बार पुनः सिद्ध हो गया कि देश में राष्ट्रवादी सोचवाले लोगों का बहुमत है I मोदी विजय पर राहुल गाँधी ने कहा है कि बीजेपी से हमारी वैचारिक लड़ाई चलती रहेगी। वे लड़ते – लड़ते कांग्रेस को शून्य तक नहीं पहुंचा देंगे तब तक आराम से नहीं बैठेंगे। वास्तव में कांग्रेस जैसी विचारशून्य पार्टी को समाप्त हो ही जाना चाहिए। इस चुनाव में कांग्रेस के नेताओं ने मोदी को जमकर गालियाँ दीं, उन्हें चोर कहा लेकिन जनता ने सबका बदला ले लिया। राहुल गाँधी के पसंदीदा नारे “चौकीदार चोर है” से भी कांग्रेस को नुकसान हुआ।
सारा देश मोदी की ईमानदारी और निष्ठा पर भरोसा करता है। ऐसी स्थिति में राहुल और उनके चापलूस चरणदासों द्वारा उच्चरित “चौकीदार चोर है” सुनकर आम लोगों को चिढ होती थी और लोग सोचते थे कि ये कांग्रेसी दिमागी रूप से दिवालिया हो चुके हैं, इन्हें वोट देकर अपना इहलोक व परलोक ख़राब क्यों करें ! इधर नवजोत सिद्धू और शत्रुघ्न सिन्हा एक मंदबुद्धि बालक को खुश करने के लिए मोदी को चुन – चुनकर गालियाँ दे रहे थे, उधर जनता गालियों का बदला लेने के लिए तैयार बैठी थी I सिद्धू जैसे मानसिक रूप से दिवालिया, बड़बोले, महत्वाकांक्षी व मसखरे नेताओं की राजनीति दूर का सफ़र तय नहीं करती है। अपना छेनू खूब डायलॉग बोल रहा था लेकिन पटना साहिब के समझदार मतदाताओं ने उन्हें खामोश कर दिया। कालीचरण दो नावों पर सवार थे। सोच रहे थे मियाँ बीवी दोनों संसद का गौरव बढ़ाएंगे लेकिन मोदी की सुनामी में दोनों डूब गए। अब ‘चपरगंजू’ की राजनीति का पटाक्षेप हो गया I जिस पार्टी ने इस कृतघ्न को मंत्री और सांसद बनाया उसी के खिलाफ अपने डायलॉग का ‘गोला बारूद’ छोड़ रहा था। छेनू को वहम हो गया था कि वह पार्टी के कारण नहीं बल्कि खुद के व्यक्तित्व के कारण विजयी होते रहे हैं I अब ऊँट पहाड़ के नीचे आ ही गया I
कुछ नेताओं की पराजय से तो मन को बहुत सुख- शांति मिली है I इस महासमर में अनेक मुख्यमंत्री खेत रहे, कन्हैया कुमार, प्रकाश राज जैसे अंध मोदी विरोधियों की पराजय हुई और मोदी की सुनामी में ममता बनर्जी का किला भी आधा ध्वस्त हो गया I ममता की राजनीति मुसलमानों के इर्द – गिर्द घूमती रही है I केवल मुसलमानों को खुश करो, इमामों को वेतन दो लेकिन हिंदुओं पर अत्याचार करो I हिंदुओं में चेतना आ गई और ममता को सबक सिखा दिया I बिहार में राजद शून्य पर आउट हो गया I कोई भी संवेदनशील व्यक्ति जिसने लालू – राबड़ी के पंद्रह वर्षों के कुशासन को देखा होगा वह राजद जैसी अराजक पार्टी को कभी वोट नहीं दे सकता है I राजद जैसी पार्टी का अंत लोकतंत्र की सच्ची विजय है I प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार कुमारी मायावती और अखिलेश यादव के महाठगबंधन को भी लोगों ने नकार दिया I आखिर अखिलेश को मिला क्या ? क्या से क्या हो गया, बेवफा तेरे प्यार में I पहले भी पाँच थे, अब भी पाँच I मायावती की चापलूसी और चरण वंदना करने से क्या मिला !! न खुदा ही मिला, न बिसाले सनम, न इधर के रहे, न उधर के रहे I मन ही मन तो अखिलेश भी प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रहे थे I सपना देखना गलत नहीं है लेकिन थोड़ा यथार्थ – बोध तो होना चाहिए I
चन्द्रबाबू नायडू को मैं समझदार नेता मानता रहा हूँ लेकिन इधर के दिनों में लगा कि उन्होंने अपनी समझदारी को सेकुलर’ नामक बक्से में बंद कर दिया है I मेरे जैसे सामान्य समझवाले व्यक्ति को भी पता था कि विधानसभा और लोकसभा दोनों में उनकी पराजय निश्चित है लेकिन वे विरोधी दल के नेताओं के घर – घर जाकर भानमती का कुनबा जोड़ने का प्रयास कर रहे थे I सोच रहे थे कि यदि एनडीए को बहुमत नहीं मिला तो शायद देवगौड़ा जैसे उनकी भी लॉटरी निकल जाएगी I पर हाय ! सबके सपनो की भ्रूण हत्या हो गई I मोदी ने इन्हें कहीं का नहीं छोड़ा I धूर्त केजरीवाल की पार्टी दिल्ली में तीसरे नंबर पर रही I केजरीवाल की नौटंकीबाज राजनीति का अंतिम अध्याय भी लिखा जा रहा है I
अगले दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस नाटक मंडली की बत्ती गुल होनेवाली है I “आप” के नेता संजय सिंह ने प्रस्ताव दिया था कि एनडीए को बहुमत नहीं मिलने पर पाँच वर्षों में एक – एक वर्ष के लिए अलग – अलग दलों के पाँच प्रधानमंत्री बनेंगे। ये प्रधानमंत्री की कुर्सी को द्रौपदी बनाना चाहते थे लेकिन जनता ने इन्हें कौरव मानकर धूल चटा दिया I विरोधी दल के नेताओं ने कुर्ते भी सिलवा लिए थे, भाषण भी लिखवा लिए थे, लड्डू के आर्डर भी दे दिए थे लेकिन मोदी बड़ा निर्मम निकला I इन बेचारों के सपनों को मिट्टी में मिला दिया I चुनाव परिणाम से देश के जेहादी तत्व दुखी और हताश हैं I इनका भी सपना था कि यदि गठबंधन की सरकार आई तो बम की फूलझरी खूब छोड़ेंगे I पाकिस्तान तो मोदी विजय सुनकर कोमा में चला गया है और पाकिस्तानी आतंकी बेहोश हैं I कश्मीरी आतंकवादी भी मूर्छित हैं I मोदी ने तो कितनों के सपनों को लील लिया I मेरा सुन्दर सपना टूट गया………Cp v p..!!