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ईमानदार कर्मियों के बीच निष्क्रिय रेल प्रशासन

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hamara purvanchal

गर्मियों की छुट्टियों में उत्तर प्रदेश की ओर जानेवाली ट्रेनों में रेलवे पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत और प्रशासन का लचर निरंकुश के कारण यात्रियों की दिक्कतों को करीब से देखने समझने को मिला चूँकि मै ३० अप्रैल को लोकमान्य तिलक टर्मिनस गोरखपुर सुपरफास्ट ट्रेन से सफर कर रहा हूँ, मैं देखा कि टर्मिनस पर ट्रेन खड़ी होते ही अनगिनत टिकट चेकर सक्रिय हो गए जो आरक्षित डिब्बे में टार्गेट पूरा करने के लिए यात्रियों से दंड वसूल कर बिठा रहे थे, आरक्षित टिकट यात्रियों की सुविधाओं से उन्हें किसी भी तरह की संवेदना नहीं दिखाई दिया। प्लेटफॉर्म से ट्रेन छूटते ही दिखा हिजड़ों का जबरन यात्रियों से पैसों की उगाही और अभद्र व्यवहार, साथ अवैध रूप से गुटखा, सिगरेट बेचने वाले दिखें जिन पर ट्रेन के भीतर उपस्थित टिकट चेकरों का किसी प्रकार का भय नहीं दिखा, ज्ञात हो रेल्वे के मैन्युअल में सिगरेट बीड़ी बेचना और लेकर सफर करना अपराध है और गुटखा मुंबई के साथ महाराष्ट्र में प्रतिबंध है उसके बावजूद यह व्यापार धड़ल्ले से फलफूल रहा है, रेल प्रशासन से अधिकृत वेंडर के अलावा असंख्य अवैध रूप से सामानों को बेचा जा रहा है जिससे कभी भी यात्रियों को जानमाल का नुकसान होने की संभावना रहती है।

रेल प्रशासन के निरंकुश कारभार देखने के बाद रेल मंत्रालय की निष्क्रियता ने रेल्वे की सेवाओं को गर्त में डाल दिया है। निरीक्षकों की मिलीभगत से लोग दरवाजों की पास की जगह, आने जाने वाले रास्ते और टॉयलेट रूम के साथ डिब्बों को जोड़ने वाली जगहों को भी नहीं छोड़ा, आरक्षित टिकटधारीयों को टॉयलेट में साफसफाई नहीं थी,पानी नहीं था जिसकी शिकायत ऑनलाइन के ९२००००३२३२ पर की गई। खानपान में सेवा देने वाले राजेश पाण्डेय ने बताया कि पैंट्रीकार के बगल के एस१ कोच में लाईट बंद हो गई है जिससे क्षुब्ध यात्रियों ने सामानों को बीच में रख दिया है और उन्हें खानपान के सामान और पानी आगे के कोचों में नहीं पहुँचा पा रहे है लोग परेशान हो गए हैं हमारा खाने का सामान पानी की सुविधा न दे पाने से कोई ले नहीं रहा है।जो खंडवा के करीब आने पर किसी तरह पैंट्रीकार के कर्मचारियों ने एसी कोच के इंजिनिअर को लेकर चालू कराया लेकिन प्रशासन की लापरवाही देखने को मिली।

वहीं इससे पूर्व कसारा पर मिले एक एक टिकट निरिक्षक सरदार हरदीप सिंग औलख ने अपना ग़लत नाम मंजीत सिंह बताया, कि यह व्यवसाय में पूरा नेक्सस काम करता है हम इन सभी को पकड़ जीआरपी को सौंपने के बाद हमें बताया जाता है कि जाँच चल रही है जबकि पता करने पर मामले को ले दे कर रफादफा कर दिया गया होता है। आगे उन्होंने बताया कि मैंने ईमानदारी से हमेशा काम किया हूँ और वर्ष २०२१ में रिटायर्ड हो जाऊंगा इतने सालों के अनुभव में कहा कि मैने नालासोपारा में कालाबाजारी कर रहे दलालों से कई लाखों के टिकट पकड़ा, मैने नोटबंदी में ३६ लाख की नगदी पकड़ी, कई यात्रियों को एक ही पीएनआर पर चार अलग टिकट से यात्रा करते पकड़ा, तत्काल टिकट एक दिन में बिहार से मुंबई पहुँचाने और यात्रा करते यात्रियों को पकड़ा, लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर मोबाईल में खिड़की से निकाला टिकट और कल्याण में उसी यात्रियों से कंप्यूटर से निकले टिकट की धांधली पकड़ा ऐसे बहुत से कालाबाजारी पकड़े जिनको डीआरएम और जीआरपी तक पहुँचाया परंतु हुआ कुछ नहीं केवल मेरा हर समय ट्रांसफर ही होता रहा फिर भी ईमानदारी मैंने नहीं छोड़ी। आगे उन्होंने बताया कि यदि मैं चाहता तो लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर बाकी टिकट निरीक्षकों जैसे टार्गेट पूर्ण कर मुंबई में ही परिवार के साथ रहता पर मैं कई दिन घर से बाहर रहता हूँ और इमानदारी से काम करता हूँ लेकिन साहब क्या करें यह बहुत बड़ा नेक्सस है जो बिना उपर के लोगों के संभव नहीं है। टॉयलेट और पानी पर उन्होंने बताया कि एक डिब्बे में ८० सीटें रहती है पर ३०० के उपर यात्री सफर करते हैं तो पानी की क्षमता इतने यात्रियों के हिसाब से कम होने से पानी पूरा नहीं पड़ता और टॉयलेट साफ नहीं हो पाता।

उन्होंने सुझाव दिया जब रेल मंत्रालय और प्रशासनिक अधिकारियों को पता है गर्मियों में छुट्टियां होने से, लोकसभा का चुनाव पड़ने के कारण, शादी ब्याह का सीजन होने के कारण, खेतीबाड़ी का समय होने के कारण भीड़ होना लाजमी है तो इन्हें नियोजन कर एक डिब्बे में बैठने की व्यवस्था की जगह तीनचार अतिरिक्त कोच लगाना चाहिए, मंत्रालय प्रतिवर्ष अतिरिक्त ग्रीष्मकालीन गाडियों को चलाता है तब भी भीड़ कम नहीं होती, यात्रियों द्वारा विरोध जताने पर रेल प्रशासकीय अधिकारियों की लॉबी द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। अधिकारियों की मिलीभगत के खेल और पेनाल्टी लेकर डिब्बों में भर दिया जाता है।

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