मुम्बई। कोरोना अब वैश्विक महामारी नही बल्कि ये वायरस भी व्यापर का जरिया बन चुका। पिछले कई महीनों से पूरे विश्व में इस जानलेवा बीमारी, करोना नामक वायरस ने भूचाल सा ला दिया हैं। इसमें कोइ दोराय नही के ये वैश्विक महामारी प्रकृति का प्रकोप एंव दंड स्वरूप हैं। ऐसा इसलिऐ भी हैं के शायद पृथ्वी पर भ्रष्टाचार, पाप औऱ अत्याचार चरम पर हैं। जिसे पृथ्वी अब बर्दाश्त नही करना चाहती। कोरोना संक्रमण की बीमारी हर किसी को अपनी गिरफ्त में करना चाहती हैं। इसके बावजूद कुछ भ्रष्टाचारी लोग इस प्रकृति की मार को भी चुनौती दें रहें हैं। पृथ्वी भले नष्ट हो जाऐ पर इस संसार में भ्रष्टाचार, अत्याचार औऱ अपराध कभी खत्म नही हो सकता। माना की ये बीमारी चीन की देन हैं, पर पूरे विश्व में तांडव मचा रखी हैं।
जब ये वैश्विक महामारी भारत में फैली समूचा देश स्तब्ध सा हो गया। जहां एक लोग करोना के डर से अपनों से भी दुर होने लगे। तों वही कुछ लोगों ने मानवता भी दिखाई। चाहे वो डाक्टर हो नर्स हो सफाई कर्मचारी हो या फिर हीरों या नेता, या फिर समाजसेवक हो। पर अब लगता हैं कोरोना कोइ बीमारी नही सिर्फ व्यापार करने का जरिया बन चुका हैं। इसे नकारा नही जा सकता।
मुंबई में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें सूरेखा सुपलीया नामक कोरोना पीड़ित महिला ने क्वांरेटाइन के दरम्यान आपबीती बताई हैं। पिछले सात दिनों से अशुद्ध भोजन, जिसमें बाल, साबुन औऱ मच्छर निकलते हैं औऱ साफ-सफाई की असुविधा औऱ अव्यवस्था को लेकर जनता के समक्ष अपनी बात रखी हैं।
सबसे बडी बात इनका कहना हैं, के यहा कोइ कोरोना पॉजिटिव नही हैं क्योंकि करोना के मरीजों से लोग 6फिट की दूरी बनाते हैं। मरीजों को जों उपचार मिलने चाहिऐ यहा उसका बिल्कुल विपरीत हैं। ना तों गर्म पानी मिलता हैं ना ही कोइ दवाई मिलती हैं औऱ ना ही सुपाच्य भोजन। इन्हें कोरोना पॉजिटिव दिखा कर क्वांरेटीन कर फिर 4, 6 या 10 दिन बाद बिना जाँच के छोड़ दिया जाता हैं। आखिर ऐसा क्यों ? इसका जवाब शायद ही कोइ दें? या फिर जवाब देही के नामपर सिर्फ लीपापोती ही करेंगें?