देश के जाबांज सैनिक अपने जान की बाजी लगाकर दिन रात एक करके देश की सेवा में लगे है। और देश की रक्षा के लिए अपने जान को कुर्बान कर देते है। लेकिन कुछ देश के बेशर्म नेताओं को देश के जाबांज जवानों की जाबांजी पर भी शक होता है। जो देश के लिए सबसे दुर्भाग्यपुर्ण है।
देश के नेता केवल घड़ियाली आंसू बहाने में मशगूल है। गम तो उन्हें है जिनके परिवार का सदस्य खोया है। देश को बांटकर सत्ता सुख पाने के लिए कुछ गद्दार नेता हर हद पार करने को तैयार है। उनको केवल सत्ता भक्ति के आगे देश भक्ति गौड लगती है। बेशर्म नेताओं को शर्म नही आती है कि देश के सैनिकों पर शक करके इसे भी राजनीतिक रंग देकर अपने गद्दारी और स्वार्थपरता का उदाहरण पेश करते है।
कांग्रेस के एक नेता ने तो वायुसेना द्वारा आतंकवादियों के ठिकाने पर किये गये हमले का सबूत ऐसे मांगा जैसे अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के मौत के बाद सार्वजनिक किया था। वही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हमेशा ही सैनिकों के कार्यों का प्रमाण चाहिए। इस महिला को विदेश की एक पत्रिका की खबर पर विश्वास है जबकि पुरे देश की मीडिया देश के जाबांज सैनिकों द्वारा किये गये साहसिक कार्य पर भूरि भूरि प्रशंसा कर रहा है।
कांग्रेस के नेता सिद्धू तो पाकिस्तान के बारे में बयानबाजी देकर भारत का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे है। भाजपा के कुछ ऐसे भी नेता है जो केवल नेतागिरी करते है। पुलवामा में शहीद हुए एक सैनिक की शव यात्रा में इस भाजपा नेता ने नेताओं की असलियत दिखा दी। देश में भाजपा विरोधी लोग पुलवामा हमला और अभिनन्दन की वापसी में भी राजनीति कर रहे है लेकिन शायद देश के नेताओं को यह नही समझ में आ रहा है कि जनता सब जानती है। सबका हिसाब होना है, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का।
देश को जाति-धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर राजनीति करने वाले कान खोलकर सुन लें कि देश की जनता अब उनके चंगुल में आने वाली नही है। देश का युवा अब आगामी चुनावों में उन्ही के साथ रहेगा जो देश हित में काम करेगा। चाहे वह किसी भी दल का नेता हो। लेकिन देश के जवानों के शहादत पर राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले बेशर्मों को यदि बोलने नही आता तो कम से कम चुप रहे न कि देश के सैनिकों का मनोबल गिराएं। यदि सैनिकों के कार्यों पर शक करना हो तो पाकिस्तान जाकर चापलूसी करें। भाजपा नेताओं को भी चाहिए सैनिकों को अपने राजनीति में घसीटें।
देश के जवान शहीद होते है तो कुछ अधिकारी या अन्य लोग शहीदों के बच्चों की पढाई और खर्च का जिम्मा लेते है लेकिन देश के नेताओं के पास ऐसा करने की हिम्मत नही है। जो सहायता राशि देने की घोषणा होती है वह भी सरकार के तरफ से न कि इन नेताओं के निजी फंड से। केवल मीडिया बाजी करने में आगे रहते है अधिकतर नेता। देश के कितने नेता होंगें जिनके बेटे सेना में है? शायद एक प्रतिशत भी नही होंगे।
देशभक्ति की झूठी कसम खाने वाले कुछ गद्दार व देशद्रोही नेताओं के कारण ही सही नेता भी शक के घेरे मे रहता है। गद्दार नेताओं को केवल सत्ता भक्ति ही सर्वोपरि है। देशभक्ति का ढोंग तो केवल दिखावा है।
मै फिर एक बार दोहराना चाहता हूं कि देश के सैनिकों के वीरता पर शक करने वाले या तो सुधर जाएं या पाकिस्तान जाकर अपनी रिश्तेदारी कर लें। देश में आतंकवाद, भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी समेत मुद्दों के पीछे इन गद्दार नेताओं की गद्दारी व स्वार्थपरता प्रमुख कारण है। जो बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और है।
देश के युवाओं से मेरी मांग है कि देश के भ्रष्ट व गद्दार नेताओं को किसी भी कीमत पर माफ न करें। देश के लिए काम करने वालों को प्राथमिकता देना हम सब का परम कर्तव्य है। समाज में जाति धर्म व विभिन्न वादों का जहर घोलने वालों को स्थान न दें। जब तक देश के लोग जागरूक होकर सही नेताओं का चुनाव नही करेंगे तब तक देश में समस्याएं कुछ गद्दारों के वजह से बढती रहेंगी। जो देश के आम जनता के साथ-साथ देश के जाबांज सैनिकों पर भी प्रश्न चिह्न लगाकर अपनी गद्दारी का परिचय देगा।
अत: देश के लोगों से कुछ सफेद पोश गद्दारों से सावधान रहना बेहद जरूरी है। इनका उद्देश्य केवल सत्ताभक्ति है न कि देशभक्ति।