भारी बरसात और जल जमाव के कारण वसई,नालासोपारा जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में बहुत ही तकलीफ का सामना यहा के नागरिकों को करना पड़ रहा हैं। रहिवाशी इलाकों जिसे झोपड़पट्टी के नाम से लोग जानते हैं, वहा की हालत तो और भी दयनीय हैं। जैसा की मुंबई की लाईफलाईन कही जाने वाली लोकल ट्रेन भी एक,या दो घंटे से लेट चल रही हैं की उद्घोषणा तो हो रही हैं पर सिर्फ ,उद्घघोषणा तक ही सीमित हैं ।
सच्चाई यह हैं की ट्रेन बहुत ही कम चल रही हैं। यात्रियों में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी ना हो इसलिए ऐसे एनाउंसमेंट कर रहे है। इसमें,आरोप और प्रत्यारोप की राजनीति और कुशासन को लेकर जनता का गुस्सा भी विफल रहा कारण की राज्य,केन्द्र,और स्थानीय राजकरण मे लोगों को गुमराह करना,जैसे सांसद,और विधायक, और महानगर पालिका का अपना, अपना प्रतिनिधि होना और उनके वोटबैंक के चलते उन्हि क्षेत्रो का विकास हुआ जहा इनके कार्यकर्ता बहुतायत हैं। अब प्रकृति तो इस सभी चीजों से अनभिज्ञ हैं, कि कहाँ बरसना हैं और कहां नहीं।
पूरा जनजीवन फिलहाल इस तीन दिन की बारिश मे अस्त व्यस्त हो गया,दूध,पीने का पानी,ब्रेड,सहित राशन और सब्जियां तो आसमान छू रही हैं, जैसे लग रहा है की शरणार्थी हैं किसि और बाढ़ग्रस्त इलाके मे फंसे हैं।
समय रहते अगर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठायेगी तो आने वाले दिनों मे परिणाम और भयंकर होंगे। स्कूली बच्चों के लिए और भी तकलीफ हैं। जहां राज्य के शिक्षामंत्री जी को ज्यादा असरदार बारिश न दिखाई पड़ रही हो। उस प्रदेश मे जनता तो बेहाल रहेगी ही।