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हिचकते हुए मिले थे जिनलोगों से, क्या पता वहीं लोग मायने बन जाएगें

मुम्बई। कल्याण पश्चिम के सर्वोदय गार्डेन परिसर स्थित विनायक मंगल हाँल में रविवार को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें हास्य व वीर रस के कवियों ने अपनी रचनायें प्रस्तुत की।

नववर्ष के मौके पर राष्ट्रीय कवि संगम ,मुंबई (महाराष्ट्र) शाखा के तत्वाधान तथा अध्यक्ष जगदीश मित्तल के मार्गदर्शन में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसके संयोजक कल्याण के कवि योगेश मिश्रा एवं सिरसा हरियाणा के कवि संजय वंसल रहे। इस कवि सम्मेलन में कल्याण, ठाणे तथा मुंबई के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं हरियाणा के अलावा चेन्नई से आए कवियों ने अपनी कविताओ से श्रोताओं को भावविभोर किया।

कवि सम्मेलन की शुरूआत श्रुति भट्टाचार्य ने सरस्वती वंदना से किया। तत्पश्चात प्रशांत अग्रवाल, अजय शुक्ला बनारसी, संतोष सिंह, हरीश शर्मा यमदूत, संजय वंसल, देवदत्त देव, डा. रजनीकांत मिश्रा, योगेश मिश्रा, एवं सुमित ओझा ने अपनी कविताओं से समां बांध दिया। संचालन श्रीमाली जी ने किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता जगदीश मित्तल ने किया। अपना वक्तव्य समाप्त करते हुये उन्होंने कहा—
हिचकते हुए मिले थे जिनलोगों से,
क्या पता वहीं लोग मायने बन जाएगें।
जिन्दगी में भले कुछ मिले न मिले,
वही हम सबके अपने बन जाएगें।

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