Home मुंबई काव्य संकलन “रूबरू जिंदगी से” का लोकार्पण एवं काव्यसंध्या समारोह संपन्न

काव्य संकलन “रूबरू जिंदगी से” का लोकार्पण एवं काव्यसंध्या समारोह संपन्न

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हमार पूर्वांचल
हमार पूर्वांचल

ठाणे(महाराष्ट्र)
भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद महाराष्ट्र के तत्वावधान में दिनांक 20 अक्तूबर दिन शनिवार को मुन्ना विष्ट कार्यालय सिडको बस स्टॉप ठाणे में मुंबई के सम्मानित पांच कवियों के साझा काव्य संग्रह “रुबरु जिंदगी से” का लोकार्पण तालियों की गड़गड़ाहट के साथ संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता माननीय डाॅक्टर इंद्रबहादुर सिंह जी ने की एवं मुख्य अतिथियों में डाॅक्टर उमेश चंद्र शुक्ल (एम•डी•कालेज मुंबई), डाॅक्टर अतिराज सिंह (पूर्व प्राचार्य बीकानेर राजस्थान), श्री नामदार राही(वरिष्ठ पत्रकार, सहसंपादक-दबंग दुनिया), श्री हरजिन्दर सिंह सेठी (संपादक-आकलन एवं वरिष्ठ गज़लकार), श्री नरेन्द्र सिंह गहरवाल जी रहे।

हमार पूर्वांचल
काव्यसंध्या समारोह

सभी अतिथियों का शाल, श्रीफल,पुष्पगुच्छ देकर सम्मान किया गया और मुख्य अतिथि के साथ वरिष्ठ गीतकार, पूर्व प्रधानाचार्य श्री भुवनेन्द्र सिंह विष्ट जी ने पुस्तक लोकार्पण के सिरमौर श्री एन•बी•सिंह नादान, श्री रामप्यारे सिंह रघुवंशी, डा•वफ़ा सुल्तानपुरी, श्रीमती शिल्पा सोनटक्के एवं श्रीमती आभा दवे जी का शाल, पुष्पगुच्छ देकर हौसला आफजाई करते हुए अनवरत लेखनी चलती रहे का आशीर्वाद प्रदान किया। समारोह के अध्यक्ष एवं प्रमुख अतिथियों ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए सभी कवियों का उनकी लेखनी को खूब सराहा।सम्मानित कवियों की रचनाओं की कुछ पंक्तियाँ निम्नवत हैं-

श्री एन•बी•सिंह “नादान ” –
प्यार अख़लाक़ की पहचान मुहब्बत है गज़ल ।
जिंदगी कहती है बेबाक़-हकीकत है गज़ल ।।
हुस्न-ओ-इश्क के साये से निकल कर अब तो।
जुल्मतों की नई आवाज शहादत है गज़ल ।।

श्री रामप्यारे सिंह रघुवंशी-
महलों के चिर स्वप्नों को यदि,
करते रहे उजागर यूं तुम ।
रश्मिरथी बन इठलाओगे,
रेशम के पर्दों पर यदि तुम ।
टप-टप करती फूस झोपड़ी,
अंधियारों से सजी पड़ी,
भूख वेदना से आहत मन की,
पीड़ा फिर कौन सुनेगा?
बोलो कवि ।।

डाॅक्टर वफ़ा सुल्तानपुरी-
नायक हैं राम हिन्द के ये भूलना नहीं ।
सियासत की तराजू में इन्हें तौलना नहीं ।।
जिससे चिरागे जिंदगी को रोशनी मिली।
अमृत है इसमें और ज़हर घोलना नहीं ।।

श्रीमती शिल्पा सोनटक्के-
आस की चादर में लगेंगे और पैबंद कितने,
कुछ तदबीरें तो कर कामयाब, सच कर दे कुछ सपने।
सच की पैरवी करती ये जिंदगी झूठ बहुत कहती है,
बेवफा नहीं फिर भी ये रूठी सी रहती है ।।

श्रीमती आभा दवे-
लाल चुनरी में आई,सारी खुशियाँ भर लाई।
तन मन दोनों किया समर्पण,
तब ही सुहागन कहलाई।।

पुस्तक लोकार्पण के इस शुभ अवसर पर मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई से कवि, साहित्यकार, पत्रकार उपस्थित थे जिनमें कुछ के –

श्री जवाहर लाल “निर्झर”
सवाल के ही गर्भ से जवाब आयेगा।
अंधेरों से निकल कर आफ़ताब आयेगा।
जलेगी शमअ अगर दिल में नई सोचों की,
जुल्म को चीरकर के इन्कलाब आयेगा ।।

श्री विनय शर्मा “दीप”
नीर अब बिकता समीर को बचाना होगा,
बिकती वसुंधरा गगन को बचाइये।
चांद की ज़मीं का मोल-भाव अब होने लगा,
रवि किरणों का मोल होने से बचाइये ।।

उपरोक्त समारोह में उपस्थित सम्माननीय कवियों, गजलकारों, गीतकारों में श्री उमेश मिश्रा, श्री विधुभूषण त्रिवेदी विधुजी, श्री श्रीनाथ शर्मा,श्री संतोष कुमार पाण्डेय(पत्रकार एवं कवि), श्री ओमप्रकाश गुप्ता, श्रीमती लता तेजेश्वर रेणुका, श्री आर•पी•सिंह,श्री कल्पेश यादव,श्रीमती प्रमिला शर्मा, श्री शिवशंकर मिश्र, श्री हरिशंकर पांडे, श्री अनिल कुमार राही, श्री राधाकृष्ण मोलासी, श्री नागेन्द्र नाथ गुप्ता, श्रीमती सुधा बहुखंडी, श्रीमती एडवोकेट रेखा किंगर रोशनी, श्री उमाकांत वर्मा, श्री पवन तिवारी, श्री मुन्ना यादव मयंक(जनहित इंडिया पत्रिका के मुंबई प्रतिनिधि), श्री आर•बी•सिंह ” खूंटातोड़ “(हमार पूर्वांचल-पत्रकार), डाॅक्टर शैलेश वफ़ा, श्री बबलू कन्नौजियाश्री सोनू सिंह वियोगी, श्री श्रीराम शर्मा, श्री हरदास पाहुजा, श्री के•एस•शास्त्री आदि ने उपस्थित होकर सभी ने अपने काव्य रचना से कार्यक्रम में चार-चांद लगा दिया, श्रोताओं ने तालियां बजाकर सभी गीतकार, गजलकार को उनकी रचनाओं पर दाद दी। अंत में संस्था सचिव श्री एन बी सिंह नादान ने आये हुए सभी कवियों, पत्रकारों को धन्यवाद देकर आभार प्रकट कर लोकार्पण समारोह के इस काव्यसंध्या का समापन किया।

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